हमें यकीन होता है कि मां है ना.. सब संभाल लेगी

एक मां दुख-तकलीफ को सहन करते हुए बच्चों को हमेशा आगे बढ़ाते रहती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 08:15 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 08:15 AM (IST)
हमें यकीन होता है कि मां है ना.. सब संभाल लेगी
हमें यकीन होता है कि मां है ना.. सब संभाल लेगी

रांची : एक मां दुख-तकलीफ को सहन करते हुए बच्चों को हमेशा आगे बढ़ाते रहती है। उनकी एक ही इच्छा रहती कि मुझे जितना कष्ट हो जाए, लेकिन बच्चों को किसी चीज की तकलीफ महसूस भी न हो। रांची के डीएवी हेहल स्कूल में लाइब्रेरियन कमलेश चौधरी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बच्चों को एक मुकाम तक पहुंचाने में लगी हैं। एक बेटा मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर है तो बेटी उसी स्कूल में शिक्षिका बनी जहां मां लाइब्रेरियन हैं। एक बेटी एमए करके बैंक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। बच्चों ने कहा कि हर मुश्किल हालात में उन्हें यह यकीन होता है कि मां है ना. सब संभाला लेगी। कोरोना के कारण हालात चुनौतीपूर्ण हैं। इस मुश्किल दौर में भी मां अपने परिवार और कार्य के प्रति दोहरे उत्तरदायित्व का पालन कर रही हैं। कमलेश के पति डीएवी हेहल में कार्यरत थे। फरवरी 2001 में पति की मृत्यु हो गई। तीन बच्चे थे। सभी छोटे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था वह करे। ऐसे में स्कूल मदद के लिए तुरंत आगे आया। कमलेश को स्कूल में ही नौकरी मिल गई। उस समय सबसे बड़ी बेटी 10वीं, बेटा आठवीं और एक बेटी एलकेजी में पढ़ रही थी। कमलेश ने हिम्मत नहीं हारी। ठान लिया कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलानी है। तीनों बच्चों ने डीएवी हेहल से ही 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। सबसे बड़ी बेटी कुमारी प्रीति ने वीमेंस कालेज से बीएससी, एमएससी व बीएड की। इसके बाद डीएवी हेहल में ही शिक्षक पद पर चयन हो गया। बेटा गौरव कुमार ने बीआइटी मेसरा से बीटेक करने के बाद उनका कैंपस सेलेक्शन हो गया। अभी वे चेन्नई में एक कंपनी में कार्यरत हैं। सबसे छोटी बेटी कुमारी पूजा संत जेवियर्स कालेज से अंग्रेजी में स्नातक व पीजी करने के बाद बैंक परीक्षा की तैयारी कर रही है।

बेटा ने फ्लैट खरीद कर दिया तो बेटी ने ट्यूशन पढ़ाया

कमलेश की बड़ी बेटी और बेटा की शादी हो चुकी है। बेटा ने रांची में आइटीआइ के पास फ्लैट खरीद दिया है। मां बेटी वहीं रहती है। कमलेश कहती हैं कि शुरू में परेशानी तो हुई, लेकिन स्कूल ने खूब सहयोग किया। मेरा एक ही लक्ष्य है कि सभी बच्चे अच्छी जगह पर लग जाएं। अब एक बेटी है। इसे भी जॉब मिल जाए तो चिता दूर होगी। वह कहती हैं कि बड़ी बेटी प्रीति 12वीें उत्तीर्ण करने के बाद ट्यूशन पढ़ाती थी। उस समय बच्चे ने अपनी जिम्मेदारी समझी। लेकिन मेरी कोशिश होती थी कि सभी केवल अपने पढ़ाई पर ध्यान दे।

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