करोड़ों का वाटर फिल्टर प्रोजेक्ट, फिर भी गंदा पानी पी रहे लोग

खलारी प्रखंड के बुकबुका में लगा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का करोड़ों का फिल्टर प्लाट

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 08:00 AM (IST)
करोड़ों का वाटर फिल्टर प्रोजेक्ट, फिर भी गंदा पानी पी रहे लोग
करोड़ों का वाटर फिल्टर प्रोजेक्ट, फिर भी गंदा पानी पी रहे लोग

खलारी : खलारी प्रखंड के बुकबुका में लगा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का करोड़ों का फिल्टर प्लाट पानी साफ करने में नाकाम साबित हो रहा है। हाल के बारिश के बाद पहली बार गुरुवार को घरों में इस प्लाट का पानी सप्लाई किया गया। नल से आने वाला पानी मिट्टी के रंग का पीला था। शनिवार को पुन: जब पानी सप्लाई की गई, तो वह भी पीला पानी था। खलारी की पाच पंचायतों में इस प्लाट से जलापूर्ति होती है। अधिकतर लोग प्लाट का सप्लाई पानी ही पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। परंतु, गंदा पानी नल से आने के कारण लोगों की परेशानी बढ़ गई है। पीने के लिए लोगों को जार का पानी खरीदना पड़ रहा है। केडी पत्रकार कालोनी निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हृशिकृष्ण दुबे ने कहा कि सप्लाई से आ रहा गंदा पानी दैनिक जीवन में किसी भी प्रकार से उपयोग करने लायक नहीं है। दुबे ने कहा कि एक और जहा लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं, वहीं गंदा पानी के इस्तेमाल से दूसरी बीमारी उत्पन्न होने का अंदेशा बढ़ गया है।

----

5.5 एमएलडी क्षमता का हैं फिल्टर प्लाट

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने खलारी की लगभग 25 हजार आबादी को जलापूर्ति को ध्यान में रखकर इस प्रोजेक्ट को बनाया है। इसकी क्षमता 5.5 मिलियन लीटर प्रति दिन की है। ऊंचाई के कारण प्लाट से जलमीनार करीब 800 मीटर दूर पहाड़ी मंदिर के निकट बनाई गई है। वहीं, प्लाट को करीब तीन किमी दूर सपही नदी से आपूर्ति किया जाती है। प्रोजेक्ट के अनुसार पाच पंचायतों बुकबुका, खलारी, हुटाप, चूरी दक्षिणी तथा चूरी मध्य में इस प्लाट से जलापूर्ति किया जाना है। प्लाट का निर्माण विभाग ने रॉक ड्रील इंडिया लिमिटेड के द्वारा कराया है। प्लाट स्थापना के समय से अभी तक एजेंसी ही जलापूर्ति और देखरेख कर रही है। परंतु, आए दिन तकनीकी कारणों का हवाला देकर वाटर सप्लाई में अनियमितता होती रहती है। प्रतिदिन लोगों को पानी नहीं मिल पाता है। कभी मोटर में खराबी तो कभी नदी में पानी की कमी। कभी बिजली आपूर्ति का हवाला दिया जाता है, तो कभी अन्य तकनीकी खामिया बताई जाती हैं। सड़क निर्माण में क्षतिग्रस्त पाइप के कारण करीब एक साल से केडी आवासीय क्षेत्र में वाटर सप्लाई ठप है। इस बार गंदे पानी के लिए नदी में बारिश का पानी आना बताया गया। पर, प्रोजेक्ट नदी को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है। इसलिए कहीं न कहीं फिल्टर के दौरान लापरवाही से इनकार नहीं किया जा सकता है। एजेंसी के अजीत वर्मा ने भरोसा दिया है कि जल्द ही लोगों को साफ पानी मिलने लगेगा।

chat bot
आपका साथी