Vivah Muhurat 2021: 15 जुलाई के बाद अगले 4 माह तक शादी का शुभ लग्न नहीं, 20 जुलाई से मांगलिक कार्यों पर लगेगा ब्रेक
शादी का शुभ लग्न 15 जुलाई तक है। इसके बाद अगले चार माह तक विवाह का लग्न नहीं है। 12 जुलाई को ऐतिहासिक रथयात्रा के सप्ताह भर बाद 20 जुलाई से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षिर सागर में विश्राम करेंगे।
रांची, जासं। शादी का शुभ लग्न 15 जुलाई तक है। इसके बाद अगले चार माह तक विवाह का लग्न नहीं है। साल के अंत में विवाह का शुभ लग्न नवंबर से आरंभ होगा। 12 जुलाई को ऐतिहासिक रथयात्रा के सप्ताह भर बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 20 जुलाई से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षिर सागर में विश्राम करेंगे। इस दिन को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यतानुसार भगवान के विश्राम के काल में मां लक्ष्मी सेवा लीन रहती हैं। वहीं, श्रृष्टि का कार्य महादेव संभालते हैं। इस चतुर्मास दौरान शादी, मुंडन, जेनेऊ, गृहप्रवेश सहित सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित माना गया है। 14 नवंबर देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षिर सागर से बाहर अपने भक्तों के बीच आयेंगे। इसके साथ ही रुके हुये मांगलिक कार्य आरंभ हो जायेगा। अगले दिन 15 नवंबर से शहनाई गूंजने लगेगी।
शादी के शुभ लग्न की बात करें तो जून में 23 और 24 तरीख को शादी का मुहूर्त है। जबकि जुलाई में एक, दो, सात, 13 और 15 तरीख को बढ़िया मुहूर्त है। साल 2021 अंतिम दो माह नवंबर व दिसंबर में शादी के कुल 13 शुभ मुहूर्त है। नवंबर में 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30 जबकि दिसंबर में एक, दो, छह, सात, 11 और 13 तारीख को शादी का लग्न है।
चतुर्मास में आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा जगन्नाथ मंदिर का कपाट
मान्यतानुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को विष्णु रूप भगवान जगन्नाथ खुद अपने भक्तों के बीच पहुंचते हैं। भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ भव्य रथ पर होकर भक्तों का हाल जानने उनके बीच जाते हैं। मौसी के यहां सात दिनों तक प्रवास करते हैं फिर वापस अपने धाम लौटते हैं। इसी के बाद चतुर्मास आरंभ हो जाता है। इन चार मास तक भगवान जगन्नाथ आम श्रद्धालुओं को दर्शन नहीं देते। मंदिर का कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद रहता है। सिर्फ नियमित पूजा अर्चना होती है। मंदिर का कपाट देवोत्थान एकादशी को खुलता है।