रिम्स पहुंचा वेंटिलेटर, 160 एचएनएफसी मशीन आई

कोरोना महामारी से निपटने के लिए व्यवस्थागत तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 06:14 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 06:14 PM (IST)
रिम्स पहुंचा वेंटिलेटर, 160 एचएनएफसी मशीन आई
रिम्स पहुंचा वेंटिलेटर, 160 एचएनएफसी मशीन आई

जागरण संवाददाता, रांची : कोरोना महामारी से निपटने के लिए व्यवस्थागत तैयारियां तेज कर दी गई हैं। ऑक्सीजन के साथ ही अन्य उपकरण व दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकीय उपकरण भी बढ़ाए जा रहे हैं। तात्कालिक रूप से रिम्स के आंकोलॉजी विभाग में 50 वेंटिलेटर लगाने की योजना है। इसकी पहली खेप के रूप में बुधवार को 15 वेंटिलेटर शहर पहुंचने के बाद रिम्स के आंकोलोजी विभाग में रखा गया है। इन वेंटिलेटर को आंकोलोजी विभाग के दूसरे तल्ले पर इंस्टॉल किया जा रहा है। इन वेंटिलेटर की अनुमानित कीमत करीब तीन करोड़ 75 लाख रुपये बताई जा रही है। इसके अलावा हाई फ्लो नेजल कैनुला (एचएनएफसी) मशीन की खरीद की गई है। कुल 160 एचएनए़फसी मशीन में से 150 मशीन को रिम्स पहुंचाया जा चुका है। इन मशीनों को भी आंकोलॉजी विभाग में लगाया जाएगा। शेष 10 एचएनएफसी मशीन को दूसरे जगह इंस्टॉल किया जाएगा। इन मशीनों को लगाए जाने के बाद जहां मरीजों में ऑक्सीजन की कमी को तुरंत दूर किया जा सकेगा वहीं मशीन से इलाज में देरी होने से संबंधित दिक्कतें भी दूर होंगी। डाक्टर्स का कहना है कि सांस के मरीजों के लिए ये मशीनें काफी फायदेमंद साबित होंगी। इसके जरिए मरीज को एक मिनट में 60 लीटर तक आक्सीजन दी जा सकती है। फिलहाल, सामान्य आक्सीजन पाइप से 15 लीटर तक आक्सीजन मिलती है।

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रिम्स परिसर में ठेले-खोमचे वाले उड़ा रहे गाइडलाइन का मखौल

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र आयुर्वेदिक संस्थान (रिम्स) परिसर में कई स्थानों पर अव्यवस्था भी देखने को मिल रही है। खासतौर से ठेले-खोमचे वालों के पास चले जाएं तो संक्रमण का खतरा साफ नजर आएगा। दरअसल, विभिन्न जगहों से आकर अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों के लिए ये ठेले-खोमचे सहारा हैं। वे यहां आकर खाना-पीना करते हैं। समस्या यह है कि न तो ठेले-खोमचे वाले सफाई, मास्क व अन्य जरूरी सावधानियों का ध्यान रखते हैं और न ही यहां आकर खानेवाले। मरीजों के स्वजन यहां जहां-तहां बैठकर खाने लगते हैं। ठेलेवाले खुद भी बिना मास्क के देखे जाते हैं। इन हालात में संक्रमण फैलने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

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