नई तकनीक सीखकर समाज हित में करें उपयोग : अजय कुमार
इंटरनेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसोसिएशन के सहयोग से बुद्धा साइंस की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें क्षेत्र सेवा प्रमुख ने अपनी बात रखी।
जागरण संवाददाता, रांची : इंटरनेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसोसिएशन के सहयोग से बुद्धा साइंस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट के द्वारा आयोजित मास्टरिग इन मेल मैनेजमेंट के समापन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व क्षेत्र के सेवा प्रमुख अजय कुमार ने कहा कि हमें नई तकनीक सीख कर समाजहित में इसका उपयोग करना चाहिए। विद्या बांटने से बढ़ती है। आपने जो भी सीखा, उसे समाज के लोगों के बीच में जाकर सिखाएं। डिजिटल दुनिया में हम लोगों का प्रभाव बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि सभी लोग मिलकर इस दिशा में कार्य करें। मौके पर एसबीआइ के ब्रांच मैनेजर सौरभ कुमार, आइआरडीए के वाइस प्रेसिडेंट शशि भूषण पांडे, समाजसेवी रामचंद्र प्रसाद, गोपाल कुमार, भारत भूषण, रोबिन कुमार, अरविद प्रसाद, किशोरी शाह उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में छात्रों के बीच मेडल एवं प्रमाण पत्र वितरण किया गया।
नृपेंद्र नाथ शाहदेव की 91वीं जयंती मनाई गई
जासं, रांची: भारत स्काउट और गाइड झारखंड राज्य मुख्यालय में कुमार नृपेंद्र नाथ शाहदेव की 91वीं जयंती मनाई गई। इसमें मास्क और शारीरिक दूरी का पालन करते हुए 20 स्काउट, दो स्काउट मास्टर और पांच पदाधिकारी शामिल हुए। कुमार नृपेंद्र नाथ शाहदेव का जन्म 29 नवंबर 1929 को जरियागढ़ राज परिवार में हुआ था। इस मौके पर राज्य मुख्यालय में ध्वजारोहण करके कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एक सोन चिरैया मखमली आंखों वाली, मत करो बंद पिजरे
जासं, रांची : सृजन संसार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच रांची के द्वारा आनलाइन गूगल मीट के माध्यम से मासिक काव्य गोष्ठी वरिष्ठ शायर नेहाल हुसैन सरैयावी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार रंजीत कुमार तथा विशिष्ट अतिथि प्रयागराज से वरिष्ठ साहित्यकार डा शिशिर सोमवंशी थे। कार्यक्रम के संयोजन कवि एवं लोकगायक सदानंद सिंह यादव ने किया। कार्यक्रम की शरुआत रुणा रश्मि दीप्त के द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। इसके बाद मीनू मीना सिन्हा मीनल ने सोन चिरैया शीर्षक की अपनी कविता सुनाई- एक सोन चिरैया मखमली आंखों वाली, मत करो बंद पिजरे.. । हजारीबाग से पुष्कर कुमार पुष्प ने अपने गजल की प्रस्तुति में अब नजर चार यूं ही नहीं करते, अब तेरी जुस्तजू नहीं करते । रंजना वर्मा उन्मुक्त ने - नमक पर कविता प्रस्तुत करते हुए कहीं- नमक के बिना जीवन कैसा लगे नहीं कुछ स्वाद हमारे लिए, नमक जरूरी वरना सब बेकार वहीं पुष्पा सहाय गिन्नी ने -जिदगी कैसे पल में बदल जाती है, कल की नन्ही बच्ची झट से बड़ी हो जाती है।