सरना धर्म कोड की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा आदिवासी समाज, शीतकालीन सत्र में संसद-विधानसभा घेराव की घोषणा

सरना धर्म कोड की मांग को लेकर मंगलवार को आदिवासी समाज सड़क पर उतर गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 02:10 AM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 02:10 AM (IST)
सरना धर्म कोड की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा आदिवासी समाज, शीतकालीन सत्र में संसद-विधानसभा घेराव की घोषणा
सरना धर्म कोड की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा आदिवासी समाज, शीतकालीन सत्र में संसद-विधानसभा घेराव की घोषणा

जागरण संवाददाता, रांची : सरना धर्म कोड की मांग को लेकर मंगलवार को आदिवासी समाज सड़क पर उतरा। राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन हुए। कहीं मानव श्रृंखला तो कहीं विरोध मार्च निकाला गया। राजधानी में अलबर्ट एक्का चौक पर मानव श्रृंखला में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। पिस्का मोड़ से मोरहाबादी मैदान तक बाइक रैली निकाली गई। मोरहाबादी मैदान में युवाओं को संबोधित करते हुए डा. करमा उरांव और धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरकार साजिश के तहत आदिवासियों की आवाज दबाना चाहती है। अगले साल जनगणना होनी है इससे पहले अलग धर्म कोड नहीं मिला तो आने वाले शीतकालीन सत्र में विधान सभा और लोक सभा का घेराव होगा।

अलबर्ट एक्का चौक पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले मानव श्रृंखला बनाई गई। परिषद की जिलाध्यक्ष कुन्दरसी मुंडा एवं महानगर अध्यक्ष पवन तिर्की की अगुवाई में आयोजित मानव श्रृंखला में पूर्व मंत्री व परिषद की प्रदेश अध्यक्ष मंत्री गीताश्री उरांव भी शामिल हुई। अलबर्ट एक्का चौक से राजभवन तक आयोजित मानव श्रृंखला में राजधानी सहित आसपास से बड़ी संख्या में ग्रामीण जुटे। दोपहर दो बजे एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिलकर मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में गीताश्री उरांव, डा. अभय सागर मिज, सुशील उरांव , कुन्दरसी मुंडा, पवन तिर्की, बच्चन उरांव, वासुदेव भगत, प्रेमशाही मुंडा एवं अभय भुटकुमार शामिल थे। गीताश्री उरांव ने कहा कि 1871 से 1951 तक जनगणना में आदिवासियों को पृथक दिखाया जाता था। 1871 अन्य धर्म, 1881 में आदिवासी, 1891 में वन जनजाति, 1901, 1911, 1921 एनिमिस्ट के रूप में वर्णित किया गया था। हालांकि, 1951 की जनगणना के बाद से आदिवासी समुदाय के रूप में अलग से जनगणना करवाना बंद कर दिया। देश में आज आदिवासियों की जनसंख्या 10.5 करोड़ है लेकिन उनकी कोई धार्मिक पहचान नहीं है।

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गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासियों के सर्वागीण विकास के लिए उनको अलग से पहचान एवं आत्मनिर्भर बनने के लिए अलग धर्म कोड सं.- 7 देने के लिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को निर्देशित किया जाए तथा जनगणना की व्यक्तिगत प्रश्नावली में सम्मिलित करने का भी निर्देश जारी किया जाए, जिससे 2021 की जनगणना में आदिवासी धर्म से अलग डाटा दिया जा सके।

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आदिवासी सेना ने निकाली बाइक रैली

आदिवासी सेना के अध्यक्ष शिवा कच्छप के नेतृत्व में पिस्का मोड़ सरना स्थल से रैली निकाली गई। आदिवासी परिधान में युवक इसमें शामिल हुए। रैली विभिन्न मार्गों से होते हुए मोरहाबादी मैदान पहुंची। इसके बाद रैली सभा में तब्दील हो गई। रैली में हेसल सरना समिति, कमड़े सरना प्रार्थना सभा, पंडरा सरना समिति, बनहोरा, 22 पहड़ा जतरा समिति आदि संगठनों की भागीदारी रही। शिवा कच्छप ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार आदिवासियों की भावना को देखते हुए अविलंब अलग धर्म कोड दे। मौके पर मुख्य रूप से संजय तिर्की, सती तिर्की, शीतल तिर्की, बुधुवा उरांव, सोमा लकड़ा, धरमू तिर्की आदि उपस्थित थे।

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मानव श्रृंखला में ये संगठन भी हुए शामिल

...अलबर्ट एक्का चौक पर आयोजित मानव मानव श्रृंखला में आदिवासी जन परिषद के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। मुख्य रूप से परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, अंतु तिर्की, जय सिंह लुखड़, कृष्णा मुंडा, कैलाश मुंडा, सिकंदर मुंडा, उमेश लोहरा, जयदेव भगत, शत्रुघ्न बेदिया, संजीव वर्मा, चतुर बड़ाईक, जयदेव भगत, गोपाल बेदिया, सेलिना लाकड़ा, सुप्रियाकच्छप, आश्रिता कश्यप, कालरा कच्छप, विक्की लोहरा, अनिल कच्छप, प्रशांत मुंडा, किसान कच्छप, अमित पाहन विक्की तिर्की, कुसुम लोहरा, कलारा मिज आदि शामिल थे। ......................

झारखंड आदिवासी विकास समिति के सांस्कृतिक महासचिव सुखराम पाहन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग मानव श्रृंखला में शामिल हुए। इससे पूर्व हरमू स्थित देशावली में एकत्र हुए और पदयात्रा करते हुए रांची के मोरहाबादी मैदान में जमा हुए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अध्यक्ष प्रभाकर नागर, मुन्ना लकड़ा आदि शामिल थे।

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