हाई कोर्ट ने पूछा- किस प्रविधान के तहत जनप्रतिनिधियों को नेम प्लेट लगाने की दी गई छूट
Jharkhand High Court Hindi News Ranchi Transport News अदालत ने ट्रांसपोर्ट सचिव को यह बताने को कहा है कि जनप्रतिनिधियों को निजी वाहन पर बोर्ड और नेम प्लेट लगाने की अनुमति किस प्रविधान के तहत दिया गया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में निजी वाहनों पर बोर्ड एवं नेम प्लेट लगाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने ट्रांसपोर्ट सचिव को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने सचिव से पूछा है कि किस प्रविधान के तहत जनप्रतिनिधियों को निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगाने की छूट दी गई है।
साथ ही मोटर वाहन एक्ट के किस प्रविधान के तहत राज्य सरकार ने इसको लेकर अधिसूचना जारी की है। इस मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता फैसल अल्लाम ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बोर्ड, नेम प्लेट व गार्ड लगाने से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। अभी भी लोग अपने निजी वाहनों पर बोर्ड लगाकर चल रहे हैं।
अदालत ने अधिसूचना का अवलोकन करने के बाद कहा कि निजी वाहनों में नेम प्लेट लगाने की छूट किस नियम के तहत सिर्फ चुने हुए जन प्रतिनिधियों को दी गई है। सरकार की अधिसूचना के अनुसार मुखिया, पार्षद, विधायक सहित अन्य जन प्रतिनिधि निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगा सकते हैं, लेकिन किसी दूसरे को यह छूट नहीं दी गई है। यहां तक की न्यायिक पदाधिकारी और हाई कोर्ट के जजों को भी यह अधिकार नहीं दिया गया है। न्यायिक पदाधिकारी सिर्फ अपने सरकारी वाहन पर ही बोर्ड लगाकर चल सकते हैं।
वह भी सिर्फ हाई कोर्ट के जज और जिला जज। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि जनप्रतिनिधियों को वाहन पर नेम प्लेट लगाने की छूट इसलिए दी गई है कि ताकि किसी कार्यक्रम के दौरान उनकी पहचान हो सके। इस पर अदालत ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सिर्फ जन प्रतिनिधियों को ही निजी वाहनों पर नेम प्लेट लगाने की छूट क्यों प्रदान की गई है और किस प्रविधान के तहत ऐसा किया गया है। बता दें कि गजाला तनवीर ने इसको लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किसी भी वाहन में नेम प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं किया जा रहा है।