सैलानियों को लुभा रहा तोरपा का चंचला घाघ
जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है। जिला मुख्यालय से पूरब पश्चिम उत्तर या दक्षिण हर जगह पर्यटकों के लिए कुछ न कुछ है। इसी में तोरपा का चंचला घाघ जल प्रपात है।
सुनील सोनी, तोरपा
जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है। जिला मुख्यालय से पूरब, पश्चिम, उत्तर या दक्षिण, हर दिशा में कुछ किलोमीटर की दूरी पर चले जाएं, कोई न कोई मनोरम स्थल आपको अपनी ओर आकर्षित कर ही लेगा। पहाड़ी और वनों से आच्छादित होने के कारण यहां की मनोरम छटा निराली है। ऐसा ही जिले का और एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है चंचला घाघ।
जिला मुख्यालय से तोरपा पहुंचकर तपकारा होते हुए चंचला घाघ पहुंचा जा सकता है। हालांकि खराब सड़क के कारण यहां सिर्फ नवंबर से फरवरी तक ही पर्यटक पहुंचते हैं, पर जिसने यहां के सौंदर्य को एक बार निहार लिया, वह मंत्रमुग्ध हो जाता है। इस पर्यटन स्थल पर सरकार और प्रशासन की भी नजर नहीं पड़ी है। इस कारण यह प्रशासनिक स्तर पर भी काफी पिछड़ा है। वैसे यहां सुरक्षा के साथ बैठने और पिकनिक का आनंद लेने के लिए सीमेंट की बेंच, भोजन करने के लिए गोल चबूतरा, बच्चों के खेलने के लिए बालू का टीला, नदी के बीच सुन्दर पेड़, ऊपरी छोर पर कल-कल करता झरना, नहाने के लिए सुरक्षित स्वीमिग पूल जैसा तालाब है। चंचला घाघ की चर्चा करते हुए झामुमो नेता उदय चौधरी बताते हैं कि नदी के बीचोंबीच सुन्दर धान कूटने वाला गड्ढा, जिसे मुण्डारी में सेहेल कहा जाता है, पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसी के नाम पर इस गांव का नाम सेहेलदाग पड़ा है। नदी के दूसरे किनारे पर बड़े-बड़े पेड़ों में बड़ी संख्या में लटकते चमगादड़ को देखने के लिए भी सैलानी यहां पहुंचते हैं। तपकारा पंचायत के मुखिया सह झामुमो नेता सुदीप गुड़िया और उदय चौधरी ने चंचला घाघ के विकास की मांग जिला प्रशासन से की है।
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पेरवाघाघ में नाव बनकर तैयार
संवाद सूत्र, तोरपा : दिसंबर माह शुरू होते ही पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों का आना शुरू हो जाता है। खासकर क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान पर्यटन स्थलों पर पिकनिक मनाने का दौर शुरू हो जाता है। जिले में कई दर्शनीय पर्यटन स्थल हैं जहां दिसंबर एवं जनवरी माह में एक लाख से अधिक सैलानी सपरिवार पिकनिक का आनंद उठाने आते हैं।
पेरवाघाघ जलप्रपात राज्य के खूबसूरत जलप्रपातों में शुमार होने लगा है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। घने जंगलों से घिरा पेरवाघाघ अपनी प्राकृतिक छटाओं के कारण सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। प्राकृतिक सौंदर्य व नीले पानी की झील एकमात्र पेरवाघाघ में ही देखने को मिलती है। वहीं चुरदाग के स्थानीय युवकों द्वारा लकड़ी का पुल बनाया जाता है, जिससे पार होकर पेरवाघाघ के झरने का आनंद लिया जा सकता है। सैलानियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विधायक निधि से शौचालय, टॉवर तथा रेस्ट रूम भी बनाया गया है। टॉवर से मुख्य झरने का आनंद लिया जा सकता है। पेरवाघाघ में रविवार को पर्यटक मित्र के अध्यक्ष मोतीलाल सिंह की अध्यक्षता में लकड़ी की नाव बनाई गई है। इससे पर्यटक पेरवाघाघ के मुख्य झरने का आनंद उठा सकेंगे। पर्यटक मित्रों का कहना है कि प्रशासन हर बार कोरा आश्वासन देता है कि आप लोगों को बोट मिल जाएगी लेकिन केवल लाइफ जैकेट मिलती है।