Tokyo Olympics: बचपन में पत्थर से आम पर लगाती थी अचूक निशाना, पढ़ें गोल्डन गर्ल दीपिका की कहानी...
टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी ने पूर्व विश्व चैम्पियन रूसी ओलंपिक समिति की सेनिया पेरोवा को रोमांचक शूट ऑफ को हराकर महिला सिंगल्स के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है। दीपिका कुमारी को शुरू से ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
रांची, जासं। टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी ने पूर्व विश्व चैम्पियन रूसी ओलंपिक समिति की सेनिया पेरोवा को रोमांचक शूट ऑफ को हराकर महिला सिंगल्स के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है। दीपिका कुमारी को शुरू से ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। टीम स्पर्धा में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद दीपिका को व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक का दावेदार माना जाता रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर दीपिका ने बहुत छोटे उम्र में ही अपनी प्रतिभा दिखा दी थी। बचपन में वह आम को पेड़ पर चढ़कर नहीं बल्कि पत्थर मारकर तोड़ती थी। उस वक्त पिता शिवनारायण महतो उसके अचूक निशाना को देख दंग रह गए। फिर उन्होंने 2005 में सरायकेला-खारसांवा में अर्जुन मुंडा व मीरा मुंडा द्वारा स्थापित तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला करा दिया।
यहां दीपिका ने लगभग दो साल तक प्रशिक्षण प्राप्त किया। 2007 में दीपिका जमशेदपुर में टाटा तीरंदाजी अकादमी द्वारा आयोजित ट्रायल में भाग ली और उसका चयन अकादमी के लिए हो गया। यहां से दीपिका ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आधुनिक उपकरण व अच्छे प्रशिक्षकों के साथ काम करने का लाभ उसे मिला और उसकी प्रतिभा निखरती चली गई। तीरंदाजी के प्रति दीपिका का लग्न देखते ही बनता था। वह अभ्यास छोडऩा नहीं चाहती थी। इसलिए तीन साल में वह सिर्फ एक बार अपने घर रांची गई थी। 2009 में कैडेट विश्व चैैंपियनशिप जीतने के बाद वह अपने घर गई थी।
15 साल की उम्र में यूथ विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप जीती
2009 में दीपिका कुमारी ने 15 वर्ष की उम्र में अमेरिका के ओग्डेन में हुई 11वीं यूथ विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप जीती। 2009 विश्व कप में दीपिका ने डोला बनर्जी और बोम्बायला देवी के साथ महिला टीम रिकर्व इवेंट में स्वर्ण पदक जीता। कुछ महीने बाद चीन के ग्वांगझू में 2010 के एशियाई खेलों में दीपिका प्ले ऑफ में उत्तर कोरिया की क्वोन उन सिल से हार गई।
2012 में बनी विश्व की नंबर एक तीरंदाज
दीपिका कुमारी ने मई 2012 में तुर्की के अंताल्या में अपना पहला विश्व कप में स्वर्ण जीता था। इसी वर्ष वह विश्व तीरंदाजी रैंकिंग में नंबर एक बनी। 2012 के लंदन ओलंपिक में एमी ओलिवर से हारने के बाद उन्हें पहले दौर में बाहर होना पड़ा। कोलंबिया में आयोजित 2013 तीरंदाजी विश्व कप चरण तीन में दीपिका कुमारी ने स्वर्ण पदक जीता। दो महीने बाद तीरंदाजी विश्व कप में वह स्वर्ण पदक मैच में दक्षिण कोरिया की युंक ओके ही से हार गईं और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।