हाई कोर्ट ने सरकार व नगर निगम को लगाई फटकार, कहा- किसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है

झारखंड हाईकोर्ट में रांची के बड़ा तालाब सहित अन्य जल स्रोतों को संरक्षित व अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई। यह मामला चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 08:46 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 05:23 PM (IST)
हाई कोर्ट ने सरकार व नगर निगम को लगाई फटकार, कहा- किसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है
Jharkhand: रांची के जलस्रोतों को संरक्षित करने के मामले में सुनवाई आज। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट में रांची के बड़ा तालाब सहित अन्य जल स्रोतों को संरक्षित व अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। अदालत ने हीनू नदी पर हुए अतिक्रमण हटाने के मामले में रांची नगर निगम से स्पष्ट जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा कि सिर्फ 25 फीट की चारदीवारी तोड़कर नगर निगम ने अपनी कार्यवाही क्यों बंद कर दी। क्या उक्त चारदीवारी अवैध है या वैध।

इसकी स्पष्ट जानकारी रांची नगर निगम अदालत में पेश करे। इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर किसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है। अदालत में सुनवाई के दौरान रांची उपायुक्त को भी ऑनलाइन हाजिर होने का निर्देश दिया। अदालत ने उपायुक्त से पूछा कि जब नगर निगम की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए जाती है तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा बल क्यों नहीं उपलब्ध कराए जाते हैं। वहां पर विरोध करने वालों के खिलाफ उपायुक्त ने अब तक कितने लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है।

इस दौरान रांची नगर निगम की ओर से बताया गया कि हिनू नदी पर अतिक्रमण करने वाले 82 लोगों को नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा वहां के अवैध निर्माण को तोड़ा जाएगा। सुनवाई के दौरान आर्कलॉजिकल ऑफ इंडिया की ओर से बताया गया कि रांची और उसके आसपास स्थित जलाशयों की 3D इमेज उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी। अदालत जानना चाहती है कि वर्ष 1929 से रांची में कितने जलाशय थे। कितने समाप्त हो गए और उनका क्षेत्रफल कितना सिमट गया है। इसकी पूरी जानकारी अदालत को दी जाए।

पिछली सुनवाई को अदालत ने राज्य सरकार और नगर निगम से यह स्पष्ट रूप से पूछा था कि पिछले 30 सालों में रांची व उसके आसपास कितने जलाशय थे। वर्तमान में उनकी स्थिति क्या है और कितनी हरियाली वाले क्षेत्र थे। इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि जलस्रोत का सर्वे करने के लिए आठ सदस्यीय टीम का गठन के गया है। अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कमेटी बना देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। हम सभी को मिलकर जल स्रोतों को संरक्षित व अतिक्रमण मुक्त करना होगा। ताकि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध जल मिल सके। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार और रांची नगर निगम से जल स्रोतों पर हुए अतिक्रमण को हटाने सहित उन्हें संरक्षित करने के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। इस संबंध में अधिवक्ता खुशबू कटारुका मोदी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बड़ा तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग की है।

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