पर्यावरण के बचाव के लिए जीव-जंतुओं के बीच संतुलन है जरूरी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में गोष्ठी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Jun 2020 01:20 AM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 01:20 AM (IST)
पर्यावरण के बचाव के लिए जीव-जंतुओं के बीच संतुलन है जरूरी
पर्यावरण के बचाव के लिए जीव-जंतुओं के बीच संतुलन है जरूरी

जागरण संवाददाता, रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में विश्व बैंक के सहयोग से चल रही राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के अंतर्गत शनिवार को पशु उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग में पर्यावरण और जैव विविधता का बचाव एवं संरक्षण विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में आयोजित इस गोष्ठी में बीएयू के कृषि, वानिकी एवं पशुचिकित्सा संकायों के लगभग 40 वैज्ञानिकों और स्नातकोतर छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। वानिकी संकाय के प्रोफेसर और परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. एमएस मलिक ने कहा कि भारत जैसी समृद्ध जैव विविधता बहुत कम देशों में उपलब्ध है। पादप प्रजातियों के अलावा सारे जीव-जंतु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े, मिट्टी, जल, पहाड़, नदी, अन्य जल स्त्रोत आदि पर्यावरण के आवश्यक अंग हैं, इसलिए संतुलित पर्यावरण के लिए सभी के बचाव और संरक्षण का ध्यान रखना होगा। पेड़ लगाने, पानी बचाने, प्रदूषण रोकने और समस्त जीवों के प्रति करुणा और सेवा भाव बढ़ाने का काम हमें अपने घर, पड़ोस और कार्यालय से ही प्रारंभ करना होगा।

इस अवसर पर अपने विचार रखने तथा अनुभव साझा करने वालों में पशु चिकित्सा संकाय के अधिष्ठाता डॉ. सुशील प्रसाद, कुलसचिव डॉ. नरेंद्र कुदादा, मत्स्यकी महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ.एके सिंह, पशु वैज्ञानिक डॉ. एमके गुप्ता, डॉ आलोक पांडेय, मिट्टी विज्ञान विशेषज्ञ डॉ बीके अग्रवाल तथा वानिकी वैज्ञानिक डॉ बीसी उरांव शामिल थे। इस अवसर पर पशु उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के परिसर में गुलमोहर, नीम, करंज, गम्हार आदि के 30 पौधे लगाए गए।

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पर्यावरण जागरूकता पर बीएयू ने किया प्रतियोगिता

जागरण संवाददाता, रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने कृषि स्नातक छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की नई पहल शुरु की है। बीएयू के कृषि संकाय अधीन कार्यरत कांके, देवघर, गोड्डा व गढ़वा स्थित एग्रीकल्चर कॉलेज में करीब 800 छात्र - छात्राओं के बीच आटोमेटिक ऑनलाइन क्विज का आयोजन किया गया। इस तीन दिवसीय ऑनलाइन क्विज का आयोजन संकाय के कृषि प्रसार शिक्षा एवं संचार विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. नेहा पांडे द्वारा किया जा रहा है। प्रतियोगिता में कृषि स्नातक छात्रों को संकाय द्वारा वेब पोर्टल पर एक लिक दिया गया है। इस लिक को खोलते ही छात्रों को पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीयन कराना होता है। पंजीयन के बाद छात्रों को क्विज से सबंधित प्रश्न-पत्र आटोमेटिक रूप से मिलने लगता है। इन प्रश्नों का जवाब छात्रों को नियत समय पर ऑनलाइन देना होता है। प्रतियोगिता में एक दिन में 99 छात्रों का ही आटोमेटिक पंजीयन होता है। प्रतियोगिता में पहले आओ, क्विज में भाग लो और 50 फीसद से अधिक अंक आने पर सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। डॉ. एमएस यादव कहते हैं कि पर्यावरण एवं कृषि के बीच गहरा सबंध है। पर्यावरण संतुलन में कृषि के अनेकों प्रौद्योगिकी का विशेष ख्याल रखा जाता है। पूरे देश में लागू एक समान चार वर्षीय कृषि स्नातक पाठ्यक्रमों में अनेकों पर्यावरण आधारित कोर्सेस को शामिल किया गया है। इन कोर्सेस में पर्यावरण विज्ञान व आपदा प्रबंधन, वानिकी विज्ञान, उर्जा व हरित तकनीकी, वातावरण एवं मौसम विज्ञान, मृदा, जल व वायु प्रदूषण एवं संरक्षण, जैव विविधता, फसलवार कीट व रोग प्रबंधन में पर्यावरण बचाव की बातें शामिल हैं। इन विषयों में पर्यावरण के प्रति छात्रों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतियोगिता आयोजित की गई है।

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