Monsoon in Jharkhand: समय पर मानसून खरीफ फसल को देगी मजबूती, BAU ने किसानों को दी ये सलाह

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा ने झारखंड के किसानों के लिए चालू खरीफ मौसम खेती परामर्श बुलेटिन जारी किया है। बुलेटिन में कहा गया है कि इस वर्ष राज्य में सही समय पर मानसून आ रहा है साथ ही बेहतर बारिश की संभावना भी है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 07:53 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 07:53 AM (IST)
Monsoon in Jharkhand: समय पर मानसून खरीफ फसल को देगी मजबूती, BAU ने किसानों को दी ये सलाह
Monsoon in Jharkhand: समय पर मानसून खरीफ फसल को देगी मजबूती। जागरण

रांची, जासं । बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा ने झारखंड के किसानों के लिए चालू खरीफ मौसम खेती परामर्श बुलेटिन जारी किया है। बुलेटिन में कहा गया है कि इस वर्ष राज्य में सही समय पर मानसून आ रहा है, साथ ही बेहतर बारिश की संभावना भी है। ऐसे में इस वर्ष का मानसून राज्य में खरीफ की फसल को मजबूती देने वाला होगा। राज्य में खरीफ की खेती मानसून की वर्षा पर निर्भर करती है। ऐसे में कृषि योग्य 38 लाख हेक्टेयर भूमि में से मात्र करीब 28 लाख हेक्टेयर भूमि में ही खरीफ फसलों की खेती हो पाती है। इनमें करीब 18 लाख हेक्टेयर भूमि मात्र में धान की खेती होती है।

बुलेटिन में बीएयू ने किसानों को उन्नत तकनीक की मदद से खेती करने की सलाह दी है। धान विशेषज्ञ डा कृष्णा प्रसाद ने किसानों को ऊपरी (टांड़) में 100 दिनों से कम अवधि वाली, मध्यम जमीन में 100 -125 दिनों वाली एवं नीची भूमि में 125 से अधिक अवधि वाली धान किस्मों के चयन को प्राथमिकता देना का सुझाव दिया है।

ऊपरी (टांड़) भूमि में धान की खेतीः

बुलेटिन में बताया गया है कि 15 से 30 जुन तक धान की सीधी बुआई की जा सकती है। बुआई पूर्व 2 टन प्रति एकड़ सड़ी गोबर खाद या कम्पोस्ट खेतों में बिखेरकर जुताई तथा दीमक से बचाव के लिए नीम या करंज की खल्ली 100 किलो प्रति एकड़ व्यवहार किया जा सकता है। ऊपरी (टांड़) भूमि में छिटकवाँ विधि से धान की सीधी बुआई के लिए उपयुक्त उन्नत किस्मों में अंजलि, बिरसा विकास – 111, बिरसा धान – 108, बिरसा विकास धान – 109, बिरसा विकास धान – 110 तथा वंदना का उपयोग किया जा सकता है।

मध्यम भूमि में धान की खेतीः

समय पर रोपाई के लिए 110 से 125 दिनों वाली धान किस्मों में आईआर 36, आईआर 64, आईआर 64, ललाट, नवीन, बिरसा विकास धान-203, बिरसा सुगंध-1, एवं शुष्क रोधी किस्म सहभागी धान एवं आईआर 64 (ड्राँट-1) लगाएं। देर से रोपाई में बिरसा सुगंध-1, एमटीयू 1010, पीएसी 801 एवं पीएसी 807 को लगाया जा सकता है। संकर किस्मों में एराइज तेज गोल्ड, पीएसी 801 एवं पीएसी 807 तथा अन्य कम अवधि वाली धान किस्मों का चयन किया जा सकता है।

नीची भूमि में धान की खेती

रोपाई के लिए 130-135 दिनों वाली किस्मों में बिरसामति (सुगंधित), बीआर 9, बीआर 10 (सुगंधित), एमटीयू 1001 तथा लंबी अवधि वाली धान किस्मों (140-145 दिनों) में राज श्री, स्वर्णा (एमटीयू 7029), सम्भा महसूरी (बीपीटी 5204), एराइज 6444 (गोल्ड) एवं उन्नत सम्भा महसूरी किस्मों का चयन की जा सकती है। एक एकड़ हेतु 16 किग्रा बीज एवं संकर किस्म में 6 किग्रा बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। स्वर्णा, सम्भा महसूरी एवं उन्नत सम्भा महसूरी किस्मों की रोपाई 1 से 25 जुलाई तक अवश्य कर देनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के 2-3 दिनों बाद खरपतवारनाशी ब्बुटाक्लोर 50 ईसी, 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 300-400 लीटर पानी में घोलकर स्प्रयेर से छिड़काव अवश्य करनी चाहिए।

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