MBBS Course: झारखंड के मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने पर राज्‍य में देनी होगी तीन वर्ष की अनिवार्य सेवा

MBBS Course Jharkhand Hindi News Medical News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया है। सीएम समीक्षा बैठक में अस्पातालों में 24X7 सेवा देने की कार्य योजना की प्रगति एवं ई अस्पताल कार्यक्रम का भी ब्‍योरा लेंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 01:18 PM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 06:52 PM (IST)
MBBS Course: झारखंड के मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने पर राज्‍य में देनी होगी तीन वर्ष की अनिवार्य सेवा
MBBS Course, Jharkhand Hindi News, Medical News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया है।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड के मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को अब तीन साल तक अनिवार्य रूप से राज्य में सेवा देनी होगी। विद्यार्थियों को नामांकन के समय ही इसका बांड भरना होगा। इसके अलावा जो छात्र स्वेच्छा से 10 वर्ष तक की सेवा झारखंड में देने का बांड भरेंगे, उन्हें मेडिकल पीजी कोर्स में एडमिशन में आरक्षण की सुविधा दी जाएगी। उनके लिए 15 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका प्रस्ताव तैयार करने के आदेश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। 13 सितंबर को मुख्यमंत्री इसकी समीक्षा करेंगे। एमबीबीएस छात्रों के लिए राज्य में पहली बार इस तरह की व्यवस्था बनाई जा रही है। हालांकि पीजी मेडिकल कोर्स में यह प्रविधान पहले से ही राज्य में लागू है। पीजी में नामांकन से पहले विद्यार्थियों को 30 लाख रुपये का बांड भरना पड़ता है।

भरना होगा 20 से 30 लाख रुपये तक का बांड

राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने को लेकर यह कवायद की जा रही है। तैयार किए जा रहे प्रस्ताव के अनुसार, एमबीबीएस में दाखिले से पहले अभ्यर्थियों को यह बांड भरना होगा कि एमबीबीएस करने के बाद वे तीन सालों तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा देंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें क्षतिपूर्ति मद में सरकार को एक निर्धारित राशि देनी होगी। यह राशि 20 से 30 लाख रुपये तक हो सकती है।

बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी रोक

राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस या पीजी के विद्यार्थी बीच में पढ़ाई नहीं छोड़ सकते हैं। इसके लिए नामांकन के समय दोनों पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को क्रमश: 30 तथा 20 लाख रुपये का बांड भरना पड़ता है। वर्तमान में राज्य चिकित्सा सेवा में तीन वर्ष से अधिक समय से कार्यरत चिकित्सकों को पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम में नामांकन में 50 फीसद का आरक्षण दिया जा रहा है।

इसके अलावा पीजी डिग्री एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए मेधा सूची तैयार करते समय राज्य चिकित्सा सेवा अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों (नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत के बाहर) में कार्यरत चिकित्सकों को न्यूनतम 10 फीसद से अधिकतम 30 फीसद तक का आरक्षण दिया जाता है।

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