जीआइएस मैपिग से तैयार होगा रांची का 3डी मॉडल

राजधानी रांची का अब ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) मैपिग करायी जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 08:45 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 08:45 AM (IST)
जीआइएस मैपिग से तैयार होगा रांची का 3डी मॉडल
जीआइएस मैपिग से तैयार होगा रांची का 3डी मॉडल

अनुज तिवारी, रांची : राजधानी रांची का अब ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) मैपिग करायी जाएगी, जिसमें पूरे शहर का 3डी मॉडल तैयार किया जाएगा। रांची नगर निगम इसकी तैयारी में जुट चुका है। निगम की ओर से पहली बार जीआइएस मैपिग से शहर का 3डी स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। इसकी मदद से गलियों तक में हो रहे अतिक्रमण को देखा जा सकेगा, गलियों की चौड़ाई तक मापी जा सकेगी और अतिक्रमण रोकने की पहल की जा सकेगी। साथ ही अवैध निर्माण पर तत्काल अंकुश लगाया जा सकेगा।

नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने बताया कि इस तकनीक से एक पूरा डाटा बेस तैयार होगा। शहर को कभी भी समझने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकेगा। शहर के किस क्षेत्र में कितनी भूमि खाली है, कौन सी बिल्डिग शहर में कहां खड़ी है। एक साल में किन जगहों पर कितना अतिक्रमण हुआ या निर्माण कार्य हुआ इसकी जानकारी भी तुलना करने पर मिल जाएगी। यह अभी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाले समय के लिए भी बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि इससे विकास कार्य को भी गति मिलेगी, एक प्लान की तरह शहर बन सकेगा। इसका सबसे बड़ा लाभ अतिक्रमण को चिह्नित करने में मिल सकता है। इसके अलावा नक्शे के आधार पर वार्डों में योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में भी मदद मिल सकेगी। नक्शा ऑनलाइन पोर्टल में जारी होगा : नगर आयुक्त ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस नक्शे के तैयार होने के बाद इसे ऑनलाइन पोर्टल में जेनरेट कर देखा जा सकेगा। आमलोग अपनी संपत्ति का ब्योरा आसानी से पार्टल पर भी देख सकेंगे। साथ ही यह डाटा सभी के लिए आसानी से सार्वजनिक प्लेटफार्म पर उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जीआइएस मैपिग से आम जनता को इसका लाभ मिलेगा, साथ ही निगम को भी प्रापर्टी टैक्स और अन्य कार्यों में मदद मिलेगी। टैक्स देते समय नहीं छिपा सकेंगे निर्माण का क्षेत्रफल : जीआइएस मैपिग के दौरान प्रत्येक घर में निर्मित क्षेत्रफल की भी जानकारी मिल सकेगी। ऐसे में सेल्फ असेसमेंट प्रणाली के तहत टैक्स जमा कराते समय भवन के मालिक अपने भवन का क्षेत्रफल को कम करके नहीं दिखा सकेंगे। इससे निगम के लिए भी टैक्स चोरी रोकना आसान हो जाएगा। साथ ही इस पहल के बाद अतिक्रमण को भी रोका जा सकेगा। जीआइसी मैपिग के माध्यम से लोगों के संपत्ति विवादों को भी निपटाया जा सकेगा। क्या है ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम :

ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) से भौगोलिक परिवर्तनों को जाना जा सकता है। इससे 3डी तकनीक से बने मॉडलों को आधार बनाया जाता है। ऐतिहासिक धरोहरों की मॉडलिग में भी यह तकनीक प्रयोग होने लगी है। इस तकनीक में एरियल फोटोग्राफी व डिजिटल मैचिग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। मुख्य रूप से जीआइएस एक कंप्यूटर सिस्टम हैं जिसका सभी प्रकार के जिओग्राफिक डेटा को कैप्चर करने, स्टोर करने, हेरफेर करने, विश्लेषण, मैनेज और प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग नक्शे बनाने के लिए किया जाता है।

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