Primitive Tribes: आदिम जनजातियों के पर्व और नृत्य-संगीत का होगा आडियो वीडियो डाक्यूमेंटेशन
Primitive Tribes आदिम जनजाति झारखंड एवं आसपास के इलाकों में आदिम काल से निवास कर रही हैं। इतनी ही पुरानी आदिम जनजातियों की संस्कृति है। डा रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान इन आदिम जनजातियों के पर्व-त्योहार नृत्य और संगीत का आडियो वीडियो डाक्यूमेंटेशन करेगा।
रांची, जासं। बिरहोर, असुर, कोरबा और बीरजिया की गिनती झारखंड की आदिम जनजातियों में होती है। मतलब ये आदिम जनजाति झारखंड एवं आसपास के इलाकों में आदिम काल से निवास कर रही हैं। इतनी ही पुरानी आदिम जनजातियों की संस्कृति है। डा रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान इन आदिम जनजातियों के पर्व-त्योहार नृत्य और संगीत का आडियो वीडियो डाक्यूमेंटेशन करेगा।
शहरी चकाचौंध से दूर सुदूर इलाके में वास करने वाली आदिम जनजातियों की संस्कृति, नृत्य-संगीत से दूर देश में बैठे लोग भी रूबरू हो सकते हैं। इससे जहां संस्कृति का संवर्द्धन होगा। वहीं आदिम कालीन समाज के वैशिष्ट्य से भी परिचय होने का मौका मिलेगा। डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र ने बताया कि डाक्यूमेंटेशन के लिए वर्क आर्डर निकाला गया है। कोई भी मान्यता प्राप्त संस्थान डाक्यूमेंटेशन कर सकते हैं।
30 मिनट का बनेगा वीडियो, एक जनजाति के 100 लोकगीतों का होगा संग्रह
रणेंद्र के अनुसार डाक्यूमेंटेशन में अधिकतम 30 मिनट का वीडियो बनेगा। वहीं अलग-अलग जनजातियों के 100 - 100 लोकगीतों का संग्रह किया जाएगा। डाक्यूमेंटेशन को राज्य के विभिन्न म्यूजियम में आम लोगों के लिए रखा जाएगा।
आदिम जनजाति के संवर्द्धन पर सरकार का है विशेष ध्यान
विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी आदिम जनजातियों के संवर्द्धन पर सरकार का विशेष ध्यान है। इन जनजातियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा और रोजगार सरकार की प्राथमिकता है। ऐसे में आदिम जनजातियों की संस्कृति का वीडियो- आडियो डाक्यूमेंटेशन का सकारात्मक परिणाम दिखेगा।