नए साल में लगेगा झटका, झारखंड में 30 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है बिजली
झारखंड बिजली वितरण निगम ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंपा प्रस्ताव वर्ष 2022-22 के लिए टैरिफ पीटिशन दाखिल। पिछले दो वर्षों से बिजली दर में बढ़ोतरी नहीं 6500 करोड़ के घाटे में है बिजली वितरण निगम।घरेलू उपभोक्ताओं पर कम भार देने की कवायद अधिक बोझ पड़ेगा कामर्शियल कनेक्शन पर।
रांची, (राज्य ब्यूरो) : नए साल में राज्य में बिजली की दर में 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। वर्ष 2022-23 के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम ने दर बढ़ाने का प्रस्ताव (टैरिफ पीटिशन) राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंप दिया है।
आयोग को सौंपी गई वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख है कि फिलहाल बिजली वितरण निगम का घाटा 6500 करोड़ का है। पिछले दो वित्तीय वर्ष से बिजली वितरण निगम को दर बढ़ाने की स्वीकृति नहीं मिली है, जिससे घाटा बढ़ता जा रहा है। निगम के प्रस्ताव पर अमल हुआ तो बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर भार पड़ेगा।
निगम जल्द ही विभिन्न श्रेणी में बढ़ोतरी का ब्योरा यानी प्रति यूनिट दर में बढ़ोतरी का खाका आयोग को सौंप देगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 में बिजली दर पर आयोग में अध्यक्ष व सदस्य न होने की वजह से फैसला नहीं हो सका था। इसी तरह वित्तीय वर्ष में 2020-21 में भी आयोग ने कोरोना का हवाला देते हुए उपभोक्ताओं के पक्ष में निर्णय लेते हुए बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।
हालांकि अभी भी राज्य विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष और सदस्य नहीं है। जानकारी के मुताबिक ऊर्जा विभाग जल्द ही इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को अंतिम रूप देगा। बिजली वितरण निगम के मुताबिक घरेलू उपभोक्ताओं पर कम से कम भार दिया जाएगा। औद्योगिक व एलटी उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ पड़ सकता है। इसपर अंतिम निर्णय नियामक आयोग को लेना है।
अगले वित्तीय वर्ष में खर्च 9000 करोड़ का
बिजली वितरण निगम की वार्षिक रिपोर्ट में कुल 6500 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है। पिछले दो वित्तीय वर्ष से बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण बिजली खरीद एवं आपूर्ति में 6500 करोड़ का गैप है, वहीं चालू वित्तीय वर्ष में आयोग द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने के कारण कुल 1800 करोड़ का नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 9000 करोड़ का खर्च दिखाया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 6326 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। नई रिपोर्ट में 2674 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की जरूरत बताई गई है। निगम ने वर्तमान टैरिफ से लगभग 30 प्रतिशत दर बढ़ाने का आग्रह राज्य विद्युत नियामक आयोग से किया है।
कामकाज ठप है विद्युत नियामक आयोग का
बिजली दर पर फैसला राज्य विद्युत नियामक आयोग करता है। आयोग 19 फरवरी 2021 से ही पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है। इस दिन आयोग में बचे अंतिम सदस्य (विधि) प्रवास कुमार ङ्क्षसह ने आयोग छोड़ दिया था। प्रवास कुमार सिंंह को केंद्रीय नियामक आयोग का विधि सदस्य बनाया गया था। पिछले वर्ष चेयरमैन अरङ्क्षवद प्रसाद ने भी इस्तीफा सौंप दिया था। सदस्य तकनीक आरएन ङ्क्षसह इसी वर्ष नौ जनवरी को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जनसुवाई या किसी भी नीतिगत निर्णय के लिए आयोग में कम से कम एक सदस्य का होना आवश्यक है। ऊर्जा विभाग ने आयोग के तकनीकी और विधि सदस्यों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया है।