बालाश्रय गृह की बराबर नहीं होती थी निगरानी, सीडब्ल्यूसी पर आरोप

पंडरा थाना क्षेत्र के बालाश्रय गृह में एक बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौनाचार के मामले में खुलासा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 07:26 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 07:26 AM (IST)
बालाश्रय गृह की बराबर नहीं होती थी निगरानी, सीडब्ल्यूसी पर आरोप
बालाश्रय गृह की बराबर नहीं होती थी निगरानी, सीडब्ल्यूसी पर आरोप

जागरण संवाददाता, रांची : पंडरा थाना क्षेत्र के बालाश्रय गृह में एक बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौनाचार के मामले में बाल कल्याण समिति यानि सीडब्ल्यूसी पर लापरवाही का आरोप है। बालाश्रय गृह की अधीक्षक स्मिता गुप्ता ने इस मामले में उपायुक्त और एसएसपी को पत्र लिखकर पूरी घटना का ठीकरा बाल कल्याण समिति यानि सीडब्ल्यूसी पर फोड़ा है। आरोप लगाया गया है कि सीडब्ल्यूसी के लोग बालाश्रय गृह आते थे और बच्चों से बात करते थे। मना करने पर मानते नहीं थे और सीडब्ल्यूसी की धौंस दिखाते थे। इस पत्र के सामने आने के बाद सीडब्ल्यूसी की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। पूर्व अधीक्षक ने पूरे मामले की जांच की मांग की है।

बालाश्रय की अधीक्षक ने इस पत्र में बाल कल्याण समिति की लापरवाही उजागर की है। जानकारों का मानना है कि अगर इस पूरे मामले में बाल कल्याण समिति अलर्ट होती तो घटना रोकी जा सकती थी। नियमानुसार बाल कल्याण समिति को हफ्ता- 10 दिन में बालाश्रय जाकर बच्चों से मुलाकात करनी चाहिए थी और उनसे बात करनी चाहिए थी। कहा जा रहा है कि अगर अधिकारी बालाश्रय में मौजूद बच्चों से मुलाकात करते तो हो सकता है, बच्चे उनसे पहले ही इस घटना की शिकायत करते और किसी भी बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौनाचार जैसी घटना नहीं होती।

स्मिता गुप्ता ने डीसी को लिखे पत्र में बताया है कि बाल कल्याण समिति में तैनात कुछ चर्चित लोग अक्सर बालाश्रय आते थे और उनके मना करने के बावजूद बच्चों से बात करते थे। स्मिता गुप्ता ने उपायुक्त को बताया है कि 8 अक्टूबर को भी कुछ लोग आए थे और बच्चों से मिले थे। इसकी सूचना उन्होंने फौरन ही बाल कल्याण समिति और जिला बाल संरक्षण इकाई को दी थी। लेकिन उधर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। टेलीफोन पर पीओआईसी की सीमा शर्मा को भी सूचना दी गई थी। उन्हें बताया गया था कि कुछ लोग बच्चों से गलत तरीके से बात कर रहे हैं। अश्लील हरकत करते हैं। लेकिन जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो स्मिता गुप्ता ने खुद दूसरे दिन पंडरा थाने में जाकर मामले की शिकायत की। इसके बाद पंडरा थाना के पुलिसकर्मी बालाश्रय पहुंचे और मामले में कार्रवाई शुरू हुई। स्मिता गुप्ता का कहना है कि वह खुद इस मामले में सूचक हैं। उन्हीं की शिकायत पर आरोपी शंभू प्रसाद लोहरा गिरफ्तार हुआ है। स्मिता गुप्ता का कहना है कि उन्हें बाल कल्याण समिति की तरफ से प्रताड़ित किया जाता था। उन्हें कई बार शोकाज भी किया गया।

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खूंटी से लाकर सीडब्ल्यूसी में रखे गए हैं सदस्य

बालाश्रय की अधीक्षक स्मिता गुप्ता का कहना है कि पूरे प्रदेश में बाल कल्याण समिति का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इसके बावजूद रांची में खूंटी से लाए गए सदस्यों को रखा गया है। खूंटी से आए सदस्य बैद्यनाथ कुमार पर पहले ही 2016 में हार्स ट्रेडिग और 2016 में बाल विवाह का आरोप लगा था। इसकी जांच रांची की जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा कराई गई थी। साथ ही उन पर कई लोगों का फोन टेपिग का भी आरोप है।

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जिला बाल संरक्षण अधिकारी का साला है आरोपित गार्ड : स्मिता गुप्ता का कहना है कि शंभू प्रसाद लोहरा को जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने ही रखवाया था। वह जिला बाल संरक्षण अधिकारी का साला है। स्मिता गुप्ता ने पत्र में लिखा है कि शंभू प्रसाद लोहरा अपने जीजा जिला बाल संरक्षण अधिकारी का नाम लेकर बच्चों को डराता धमकाता था और कहता था कि तुम्हारी बड़ी दीदी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगी। इसके चलते बच्चे भी डरे सहमे रहते थे।

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