धर्मातरण के खिलाफ गगारी में जबरदस्त आक्रोश

ओरमांझी प्रखंड के गगारी गांव के 10 युवकों के धर्मांतरण किए जाने से आदिवासी संगठनों और अन्य में जबरदस्त आक्रोश है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 07:40 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 07:40 PM (IST)
धर्मातरण के खिलाफ गगारी में जबरदस्त आक्रोश
धर्मातरण के खिलाफ गगारी में जबरदस्त आक्रोश

ओरमांझी : ओरमांझी प्रखंड के गगारी गांव के 10 युवकों के धर्मांतरण किए जाने से आदिवासी संगठनों व अन्य लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों में ईसाई मिशनरियों के खिलाफ नाराजगी है। शुरुआती जांच में पता चला कि गाव के युवाओं का धर्मातरण का मामला नया नहीं है। पिछले 10-12 वर्ष पूर्व भी गाव पहुंचे धर्म ईसाई धर्म प्रचारकों द्वारा गगारी के नवयुवकों का धर्मातरण कराया गया था। धर्मातरण कराने वाले युवाओं के बयान से यह खुलासा हुआ है। जब धर्मांतरण कराया गया था, तब अधिकांश युवा नाबालिग थे। रविवार को गाव में हुई बैठक में भी ग्रामीणों द्वारा गाव के मजेंद्र नायक व उसके सहयोगियों पर भोलेभाले नवयुवकों का धर्मातरण कराए जाने का आरोप लगाया था।

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धर्मांतरण करने वाले ज्यादातर थे नाबालिग

-प्रोजेक्टर पर फिल्म दिखाकर किया जाता था प्रेरित

धर्मातरण कराने वाले दिनेश कुमार बेदिया 29 ने बताया कि वह मैट्रिक परीक्षा पास करने से लगभग पाच वर्ष पूर्व ईसाई धर्म अपना चुका था। उसने बताया कि उसने 2008 में मैट्रिक पास की थी। जाहिर है कि जब दिनेश बेदिया का धर्मातरण कराया गया था उस वक्त वह नाबालिग था। इसी प्रकार राजेश बेदिया 27वर्ष ने लगभग 15 वर्ष पूर्व एवं बीरेंद्र बेदिया 21वर्ष ने लगभग सात वर्ष पूर्व धर्मातरण किया था। इसपर उच्चस्तरीय जाच हो तो निश्चित ही धर्मातरण करने के समय लगभग सभी लोग नाबालिग निकल सकते हैं। दिनेश बेदिया ने बताया पहले गाव के सभी लोग विश्वास (ईसाई) हो गए थे। धर्म प्रचारक द्वारा प्रोजेक्टर पर फिल्म दिखाकर लोगों को कनविंस किया जाता था। उस समय विनोद द्वारा ही विरोध किया जाता था। हालांकि, धर्मातरण कराने वाले किसी ने अभी तक कानूनन धर्मातरण नहीं कराया है।

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बड़ा सवाल

स्कूली पढ़ाई करने वाले युवक अनुच्छेद की बात करते हैं। धर्मातरण करने वाले युवक जो स्कूल या मैट्रिक तक पढ़ाई किए हैं। वे लोग आज अनुच्छेद (नागरिक स्वतंत्रता अधिकार नियम व अनुच्छेद- 26, 27 व 28) की बात करते हैं। यह जानकारी देते हुए गगारी के समाजसेवी जितेंद्र बेदिया ने कहा है कि इसके पीछे ईसाई मिशनरियों का हाथ है। उन्हीं के द्वारा पर्दे के पीछे से भोलेभाले लोगों का बहला-फुसलाकर कर धर्मातरण कराने का खेल खेला जा रहा है। उसने सवाल उठाते हुए कहा कि जब गाव के पढ़े-लिखे लोग अनुच्छेद को नहीं जानते तो स्कूल तक की पढ़ाई नहीं करने वाले आज अनुच्छेद की बात कैसे कर रहे हैं। निश्चित ही ऐसे युवकों को ट्रेंड किया गया है।

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आदिवासी संगठनों का विरोध

विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा धर्मातरण को लेकर विरोध किया गया है। आदिवासी सरना 22 पड़हा युवा समिति सदमा, ओरमाझी-काके क्षेत्र द्वारा मामले को लेकर बैठक भी की गई। बाबूलाल महली की अध्यक्षता में हुई बैठक में समाज के भोलेभाले युवकों के धर्मातरण का कड़ा विरोध करते हुए उपायुक्त राची से लालच देकर धर्मातरण कराने में शामिल ईसाई समुदाय के साथ अन्य दोषी लोगों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। बैठक में कहा गया कि सरना समाज के लोगों को ईसाई समाज का अगुवा लालच देकर धर्मातरण कराता है। वहीं, समिति द्वारा धर्मातरण किए लोगों से अपने धर्म में लौंटने की अपील करते हुए निर्णय लिया गया कि मंगलवार को समिति के लोग गगारी जाकर जानकारी लेंगे। इसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। इसके अलावा आदिवासी सरना समिति के अध्यक्ष अशोक मुंडा, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अंबेडकर) के प्रधान सचिव प्रीतम लोहरा, केंद्रीय सरना समिति झारखंड के अध्यक्ष मेधा उराव व उपाध्यक्ष जयमंत्री उराव सहित कई संगठनों द्वारा धर्मातरण का विरोध किया जा रहा है। साथ ही लोग देकर धर्मातरण कराने वालों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। बैठक में समिति के सचिव रमेश उराव, लक्ष्मण मुंडा, विनोद उराव, देवकुंवर पाहन, ग्राम प्रधान झिरगा पाहन, बुद्धेश्वर मुंडा, रवि मुंडा, प्रदीप मुंडा, उमा करमाली, रमेशचंद्र उराव, कमिश्नर मुंडा, दिनेश उराव, हरिलाल मुंडा, अमित पाहन, रोपना मुंडा, रितेश मुंडा, राजू उराव, कालू मुंडा, रंजीत पाहन, विशेश्वर तिर्की, रामकुमार तिर्की उपस्थित थे।

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