जीत की जिद ने दिलाई सफलता

टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम के यादगार प्रदर्शन से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 06:00 AM (IST)
जीत की जिद ने दिलाई सफलता
जीत की जिद ने दिलाई सफलता

संजीव रंजन, रांची : टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम का यादगार प्रदर्शन खिलाड़ियों की जिद की वजह से हो पाई। टोक्यो में तीन मैच खेलने तक भारतीय टीम को कोई भी महत्व नहीं दे रहा था। लेकिन इसके बाद खिलाड़ियों की जिद ने टीम को सफलता दिलाई। हमलोगों के पास खोने को कुछ नहीं था लेकिन पाने को पूरा जहां था। इसी जिद ने हमें आगे के मैचों में सफलता दिलाई। यह बातें ओलिंपियन निक्की प्रधान व सलीमा टेटे ने दैनिक जागरण कार्यालय में अनुभव साझा करते हुए कही। आसान नहीं रही हमारी राह

निक्की प्रधान ने कहा कि ओलिंपिक में हमने जो सफर तय किया वह आसान नहीं था। लीग चरण में लगातार तीन मैच हारने के बाद कोई हमें गंभीरता से नहीं ले रहा था। इसके बाद टीम प्रबंधन ने बैठक कर निर्णय लिया कि हमारे पास खोने को कुछ नहीं है इसलिए यह ठान लो कि हमें अपना सर्वश्रेष्ठ देना है। यही जिद ने हमें बेहतर खेलने को प्रेरित किया और हम लगातार तीन मैच जीतकर सेमीफाइनल में पहुंचे। ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ भी हमने शानदार खेल दिखाया लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। झारखंड से कई खिलाड़ी निकलेंगे :

निक्की प्रधान ने कहा कि रियो ओलिंपिक में भाग लेने वाली भारतीय टीम में मैं एक मात्र झारखंड की खिलाड़ी थी। टोक्यो में सलीमा टेटे के आने से हम दो हुए। अगले ओलिंपिक में यह संख्या और बढ़ेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। सलीमा की बड़ी दीदी की भूमिका में थी निक्की

पहली बार ओलिंपिक खेलने गई सलीमा टेटे पर दबाव हावी न हो इसलिए निक्की प्रधान टीम सहयोगी के साथ-साथ बड़ी दीदी की भी भूमिका निभा रही थी। सलीमा ने कहा मैच के पूर्व मैं दबाव महसूस कर रही थी लेकिन निक्की ने बड़ी बहन की तरह मुझे समझाया और मैदान के अंदर वह बाहर अभिभावक की तरह खड़ी रही।

यूरोपियन खिलाड़ियों से नहीं हैं कम :

निक्की प्रधान ने कहा कि भारतीय खिलाड़ी यूरोपियन खिलाड़ियों से किसी भी चीज में कम नहीं हैं। आज हमारे पास विश्वस्तरीय सुविधाएं हैं। मैच के पूर्व विरोधी टीम का वीडियो देखकर रणनीति तैयार की जाती है जिसे मैदान में हम पूरी तरह उतारने का प्रयास करते हैं। यही कारण है कि टोक्यो ओलिंपिक में सेमीफाइनल हारने के बाद ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी हमलोगों के पास आकर कहा कि आपलोगों ने बहुत अच्छा खेला है। आने वाला समय आपलोगों का होगा। निक्की व सलीमा को गुस्सा क्यूं आता है :

निक्की व सलीमा खेलने में जिस तरह आक्रमक है उतनी ही खिलाड़ियों को जवाब देने में भी। दोनों बताती हैं कि कई बार विरोधी टीम की खिलाड़ी गलत तरीके से हमें रोकती है तो हमें तेज गुस्सा आता है और प्रतिक्रिया स्वरूप हम जवाब भी दे देते हैं। अच्छा लगता है जब गांव की बहनें हमसे सफलता का राज जानने आती हैं

निक्की व सलीमा ने कहा कि गांव से चलकर ओलिंपिक तक का सफर तय करने का मार्ग आसान नहीं रहा है। लगातार परिश्रम व माता-पिता घरवालों के आशीर्वाद तथा कोच के मार्गदर्शन से हम इस स्थान तक पहुंचे हैं। हम जब गलियों में खेलते थे तो कोई ध्यान नहीं देता था, यह भी कहते थे कि समय बर्बाद कर रही है। लेकिन हमारी भी जिद थी कि हाकी में कुछ करना है और इसी जिद ने हमें यहां तक पहुंचाया है। आज जब हम गांव जाते हैं तो गांव की हमारी बहनें भी मिलने आती हैं और हमसे सफलता का राज जानना चाहती है। यह देखकर अच्छा लगता है कि गांव की बहनों की सोच बदल रही है उनके माता पिता भी उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। गांव के बच्चे खेल व पढ़ाई में आगे बढ़े :

निक्की प्रधान ने कहा कि उसे घर से ही हाकी खेलने की प्रेरणा मिली। उसी तरह हमदोनों को देखकर कई युवा हाकी खेल रही है। केंद्र व राज्य सरका ने जो मान सम्मान हमलोगों को दिया है उसे देख युवाओं की नई पीढ़ी इस खेल की ओर आकर्षित हो रही है। वे खेल में अपना अलग मुकाम बनाना चाहती हैं। लेकिन हम चाहते हैं जो बच्चे खेल में अच्छा कर रहे हैं वे पढ़ाई पर भी ध्यान दें। ताकि वे भी समाज के युवाओं को प्रेरित कर सके। प्रधानमंत्री की सोच से मिला बेहतर परिणाम मौके पर हाकी झारखंड के अध्यक्ष भोलानाथ सिंह ने कहा कि टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का बेहतर प्रदर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का परिणाम है। उन्होंने ओलिंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई। अगले ओलिंपिक में हमें इससे बेहतर परिणाम देखने को मिलेगा।

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