बाजार समिति की सड़कें बदहाल, मूलभूत सुविधाओं का अभाव

पंडरा स्थित कृषि उत्पादन बाजार राजधानी की सबसे बड़ी मंडी है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 09:00 AM (IST)
बाजार समिति की सड़कें बदहाल, मूलभूत सुविधाओं का अभाव
बाजार समिति की सड़कें बदहाल, मूलभूत सुविधाओं का अभाव

जागरण संवाददाता, रांची : पंडरा स्थित कृषि उत्पादन बाजार राजधानी की सबसे बड़ी मंडी है। लेकिन मुख्य प्रांगण एवं टर्मिनल यार्ड स्थित बनहोरा रोड जर्जर एवं बदहाल स्थिति में होने के कारण व्यापारियों एवं ग्राहकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बाजार तक किसी भी वाहन का पहुंचना जोखिम भरा है। वहीं, बाजार में नियमित रूप से सफाई नहीं होने के कारण भी कूड़ा-कचरा जहां-तहां पड़ा रहता है। व्यापारियों का कहना है कि विगत चार से यहां ऐसी ही स्थिति है। समस्या को दूर करने के लिए बाजार समिति के पदाधिकारियों से कई बार आग्रह किया जा चुका है। व्यापारियों का कहना है कि इस दुरूह स्थिति में कारोबार करना मुश्किल हो गया है।

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शाम ढलने के बाद बढ़ जाती है असामाजिक तत्वों की सक्रियता

मंडी में स्ट्रीट लाइट की कमी है। ज्यादातर व्यापारियों ने अपनी दुकान के सामने अपने खर्च पर लाइट लगवाई है। लेकिन मुख्य सड़क पर कई स्ट्रीट लाइट नहीं जलने से सड़क पर अंधेरा छाया रहता है। इस वजह से कई लोग जर्जर सड़क पर चोटिल हो चुके हैं। व्यापारियों की मानें तो शाम ढलने के बाद मंडी में विशेषकर टर्मिनल यार्ड में असामाजिक तत्वों की सक्रियता बढ़ जाती है, जो बाहर से आते हैं। ये लोग शराब के साथ-साथ जुआ भी खेलते रहते हैं। इस वजह से व्यापारियों में दहशत भी रहती है। बाजार में सुरक्षा के लिए 18 गार्ड हैं, जो तीन शिफ्ट में अपनी सेवाएं देते हैं। हालांकि व्यापारी मंडी में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाने की मांग भी कर रहे हैं।

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55 में से 33 स्ट्रीट लाइट ही काम की

अस्सी के दशक में तैयार की गई यह मंडी 62 एकड़ में है। यहां 656 गोदाम एवं दुकान हैं। मुख्य प्रांगण में अनाज, दलहन एवं खाद्यान्न तेल की दुकान एवं गोदाम अधिक संख्या में हैं। वहीं, टर्मिनल यार्ड में आलू-प्याज के अलावा अन्य उत्पादों की दुकान एवं गोदाम हैं। बताया जा रहा है कि मंडी परिसर में 55 स्ट्रीट लाइट में काम की सिर्फ 33 हैं।

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टैक्स बंद तो विकास भी बाधित

इधर, कृषि उत्पादन समिति की ओर से बताया गया कि पहले यहां व्यापारियों से मिलने वाले टैक्स के धन से विकास कार्य किया जाता था। लेकिन अप्रैल, 2015 में तत्कालीन सरकार ने इसे समाप्त करते हुए बाजार शुल्क वसूली को बंद कर दिया था। इसके बाद से बाजार का विकास कार्य प्रभावित हुआ है। मार्केटिग बोर्ड में डेढ़ साल से कार्यकारी अभियंता का पद भी रिक्त है। जिससे विकास के लिए तकनीकी स्वीकृति मिलने में भी दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि विभाग द्वारा इसके लिए प्रयास जारी है।

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मंडी में आलू-प्याज की 42 दुकानें हैं। वहीं, अनाज व दलहन सहित अन्य उत्पादों के सैकड़ों दुकानें हैं। सड़कें जर्जर होने एवं स्ट्रीट लाइट की कमी से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

- रोहित कुमार, सचिव, आलू प्याज थोक विक्रेता संघ, पंडरा। मंडी की समस्या को दूर करने के लिए बाजार समिति के पदाधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया। लेकिन स्थिति जस की तस है। इधर, शाम ढलते ही यहां असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में, गा‌र्ड्स की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।

- मदन प्रसाद, उपाध्यक्ष, आलू प्याज थोक विक्रेता संघ, पंडरा।

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अप्रैल, 2015 में सरकार द्वारा मंडी में शुल्क वसूली को बंद कर दिया गया था। इसके बाद से यहां विकास कार्य प्रभावित हुआ है। फंड की कमी की वजह से समिति पूरी तरह से विकास कार्य नहीं करवा पा रही है। फिर भी हम विकास के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

- अभिषेक आनंद, सचिव, कृषि उत्पादन बाजार, समिति, पंडरा, रांची

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