झारखंड की गठबंधन सरकार की नई औद्योगिक नीति से नौकरियों के अवसर बढ़ने की संभावना

राज्य में डूब रहे उद्योगों के लिए पहली बार संपत्ति पुनíनर्माण निगम बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके माध्यम से रुग्ण उद्योगों को फिर से खड़ा होने में मदद की जाएगी। यह उद्योग नीति राज्य में रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए विभिन्न कारकों को पना रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 10:30 AM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 10:32 AM (IST)
झारखंड की गठबंधन सरकार की नई औद्योगिक नीति से नौकरियों के अवसर बढ़ने की संभावना
राज्य की नई औद्योगिक नीति से नौकरियों के अवसर बढ़ने की संभावना है। प्रतीकात्मक

रांची, प्रदीप शुक्ला। झारखंड की गठबंधन सरकार नए रोजगार सृजित करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। नई औद्योगिक नीति इसका ताजा उदाहरण है। राज्य में निवेश कैसे बढ़े? नए उद्योग कैसे आएं? कैसे ज्यादा से ज्यादा नौकरियों के मौके बनें, इन सभी बातों की औद्योगिक नीति में चिंता की गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस वर्ष को नौकरियों का साल घोषित कर रखा है। उनकी इस सोच को अमली जामा पहनाने और धरातल पर उतारने के लिए राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में रिक्त करीब डेढ़ लाख पद भरने के साथ ही निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षण के प्रविधान सहित तमाम अन्य तरह के जतन किए जा रहे हैं। यहां तक स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में बड़े समूहों को आकर्षति करने के लिए कई उत्साहजनक सहूलियतें देने की घोषणा औद्योगिक नीति में की गई है, ताकि इन क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़ें। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य की बाबूशाही इसे आगे कैसे बढ़ाती है। सारा दारोमदार उन्हीं पर है, क्योंकि पूर्व की सरकारों में हुई ऐसी कोशिशें बहुत सफल नहीं रही हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय में बनाई गई टेक्सटाइल पालिसी की देशभर में प्रशंसा हुई थी। कई बड़ी कंपनियां राज्य में आईं। कुछ ने काम भी शुरू कर दिया, लेकिन सरकार बदलने के बाद पहले जैसी स्थितियां नहीं रहीं। इस दिशा में हेमंत सरकार ने अब कुछ ठोस निर्णय लिए हैं, जिनके चलते दोबारा कंपनियों का भरोसा जमा है। नई औद्योगिक नीति में सरकार की मंशा स्पष्ट हुई है। सभी को यह समझ में आ गया है कि राज्य को आगे ले जाना है तो निवेश लाना ही पड़ेगा और औद्योगिक नीति के जरिये सरकार इस दिशा में बढ़ती दिख रही है। अगले पांच वर्षो में एक लाख करोड़ के निवेश और पांच लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार देने के लक्ष्य के साथ बनी नीति अगले पांच वर्षो के लिए मान्य होगी। व्यवसाय के क्षेत्र में नए विचारों को आगे बढ़ाने के साथ ही बड़े उद्योगों के लिए निवेश का बेहतरीन माहौल तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इस बार उद्योग नीति की खास बात यह है कि इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में नए आयाम जोड़ते हुए राज्य में डिस्टिलरी खोलने जैसे अवसर भी मुहैया कराए जा रहे हैं। उद्योग नीति महज उद्योगों के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे विषयों की चिंता करती दिख रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य सरकार ने मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को आमंत्रित करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि उन्हें निवेश की राशि का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न छूट के माध्यम से वापस लौटाया जाएगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी मुहैया कराएगा। नई नीति में राज्य सरकार ने पांच उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों का चयन किया है। इन क्षेत्रों में टेक्सटाइल और एपैरल्स हैं। आटोमोबाइल व आटो कंपोनेंट, एग्रो, फूड प्रोसेसिंग, मीट प्रोसेसिंग, फार्मा सेक्टर तथा इलेक्ट्रानिक सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र भी शामिल हैं। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने आठ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का भी चयन किया है। इनमें स्टार्ट अप, शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, आइटी और बेवरेज शामिल किए गए हैं।

एमएसएमई को निवेश के हिसाब से 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा, सभी सेक्टरों में महिलाओं और एससी और एसटी को अतिरिक्त पांच प्रतिशत सब्सिडी का लाभ देने का सरकार ने निर्णय लिया है। सभी निवेशकों को स्टांप ड्यूटी तथा निबंधन शुल्क में शत-प्रतिशत की छूट मिलेगी। नीति के तहत छोटे उद्योगों के लिए ब्याज पर भी राज्य सरकार पांच प्रतिशत वार्षकि सब्सिडी मुहैया कराएगी। विश्वस्तरीय शिक्षा मुहैया करानेवाले प्राइवेट संस्थानों को राज्य सरकार 12 करोड़ रुपये तक की छूट देगी। यह राज्य में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण संस्थान लाने के लिए अभिनव पहल है। ऐसा ही निर्णय स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर लिया गया है। कोरोना महामारी के बाद लगभग सभी सरकारों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ है। स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ बड़े अस्पतालों को लुभाने के लिए मल्टी स्पेशियलिटी और सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को कुल लागत के हिसाब से 25 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया है। यह राशि अधिकतम 25 करोड़ रुपये तक हो सकती है। ऐसे अस्पतालों को ब्याज में हर वर्ष पांच प्रतिशत की राहत भी दी जाएगी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अस्पतालों के साथ-साथ नìसग कालेज खोलने के लिए भी राज्य सरकार ने निर्माण लागत पर अधिकतम 25 फीसद राहत देने का निर्णय लिया है। यह राशि एक करोड़ रुपये तक जा सकती है। दूसरी ओर, इंजीनियरिंग कालेज और तकनीकी संस्थानों को 20 करोड़ रुपये तक के निवेश पर 25 प्रतिशत की सब्सिडी देने का प्रस्ताव है। राज्य में डूब रहे उद्योगों के लिए पहली बार संपत्ति पुनíनर्माण निगम बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके माध्यम से रुग्ण उद्योगों को फिर से खड़ा होने में मदद की जाएगी। यह उद्योग नीति राज्य में रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए विभिन्न कारकों को मजबूती के साथ अपना रही है।

[स्थानीय संपादक, झारखंड]

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