Ranchi news फाल्गुन का महीना शुरू ही हुआ है और अभी से ही रांची में झुलसाने वाली पड़ रही गर्मी
इस वर्ष मार्च के पहले हफ्ते में ही रांची में झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल मार्च से मई तक सामान्य से ज्यादा गर्मी पडऩे की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में लोगों को पिछले वर्ष से ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
रांची (जासं) ः इस वर्ष मार्च के पहले हफ्ते में ही लोगों का पसीना निकल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल मार्च से मई तक सामान्य से ज्यादा गर्मी पडऩे की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में लोगों को पिछले वर्ष से ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल, मौसम में परिवर्तन का असर आमलोगों के साथ पशु-पक्षी और पेड़-पौधों पर भी हो रहा है। ऐसे बदलाव के कारण लोग कई तरह के संक्रमण का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैैं। खासकर कोरोना काल में ऐसे संक्रमण का शिकार होने से लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है। वहीं खेत में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
स्वास्थ्य पर असर ः हीट स्ट्रोक से बचने के लिए भरपूर लें पेय पदार्थ
मार्च के महीने में ही इस वर्ष गर्मी ऐसी सता रही है कि लोग अभी से एसी-कूलर और पंखे का इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर अचानक बढ़ी गर्मी से कारण लोग अब संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। रिम्स के डा अजित कुमार ने बताया कि गर्मी मेंं होने वाले इंफेक्शन और हीट स्ट्रोक से बचने का सबसे अच्छा उपाय पेय पदार्थ का ज्यादा से ज्यादा सेवन है। शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा रहने से लू लगने की संभावना नही रहती है। साथ ही ताजा बना हुआ खाना खाएं। जब भी घर से बाहर निकलें सिर को टोपी या तौलिए से ढ़ंककर बाहर जाएं।
त्वचा का रखना होगा ख्याल ः घर से बाहर निकलें तो सन स्क्रीन लोशन या एलोविरा का जेल लगाएं
स्मिता प्रिया सैलून की संचालिका स्मिता बताती हैैं कि तेज धूप में सूर्य की किरणें हमारी त्वचा को बड़ा नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में हमें अपनी त्वचा का खास ध्यान रखने की जरूरत है। घर से बाहर निकलने से पहले सन स्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करें। स्मिता बताती हैं कि कई लोग सोचते हैं कि घर में रहने पर सन स्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं है। मगर ऐसा नहीं है। घर में अल्ट्रावायलेट किरणों से त्वचा को नुकसान होता है। ऐसे में हर रोज नहाने के बाद सन स्क्रीन का इस्तेमाल करें। स्किन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए खीरे का कद्दूकस किया हुआ जेल और एलोविरा जेल का इस्तेमाल करें। साथ ही, रात में सोने से पहले फेशवाश करें। रूई से चेहरे पर गुलाब जल का इस्तेमाल करें।
फसल ः जल्दी शुरू हुई गर्मी से आम को फायदा, बाकि पौधों को नुकसान
बीएयू के उद्यान विभाग के अध्यक्ष डा. केके झा बताते हैं कि आम में फल-फूल आने का वक्त अब खत्म हो गया है। ऐसे में अभी तेज गर्मी पडऩे से फल को कोई खास नुकसान होने की संभावना नहीं है। अगर फूल खिलने के समय गर्मी बढ़े तो आम की फसल को बड़ा नुकसान संभव है। आम की बैरी जल सकती है। ऐसी स्थिति में फसल को बचाने के लिए रोज हल्की सिंचाई जरूरी है। हालांकि इससे एक फायदा ये होगा कि गर्मी के कारण आम में फंगस रोग नहीं लगेगा। लेकिन तेज गर्मी से लीची और जामुन को नुकसान होने की संभावना है। डा केके झा ने बताया कि आम, लीची और जामुन की बैरी को जलकर गिरने से बचाने के लिए एक मिली स्फेक्स को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। अन्य गरमा फसलों को बचाने के लिए समय-समय पर हल्की सिंचाई करते रहनी चाहिए।
मार्च महीने में चल सकता है हीट वेब ः मौसम विभाग के विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि देश के अन्य हिस्सों सहित राज्य में तापमान में बढ़ोतरी के ट्रेंड को देखते हुए मार्च महीने भी हीट वेब की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। हालांकि हीट वेब का चलना तापमान और अन्य कई पहलुओं पर निर्भर करता है। बता दें कि मार्च महीने में रांची में सबसे ज्यादा तापमान 39.4 डिग्री 31 मार्च 1955 को रिकार्ड किया था।
मार्च में रांची का रिकार्ड अधिकतम और न्यूनतम तापमान (डिसे.)
रिकार्ड वर्ष अधिकतम तापमान(तिथि) न्यूनतम तापमान(तिथि)
2020 34.2(31) 12.5(09)
2019 37.0(31) 10.1(02)
2018 37.6(30) 14.0(08)
2017 39(31) 12.1(14)
2016 38.7(27) 14.5(17)
2015 36.5(26) 11.0(06)
2014 36.2(30) 11.0(05)
2013 35.5(24) 12.1(04)
2012 36.4(27) 12.0(01)
2011 36.6(19,20) 11.8(01)
क्या कहते हैैं पर्यावरणविद ः हमारी गलती से गर्म हो रही रांची
पर्यावरणविद आशीष शीतल बताते हैं कि पिछले वर्ष कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान रांची का मौसम लगभग 40 वर्ष पहले की तरह स्वच्छ हो गया था। यही कारण था कि शहर में काफी सारी तितलियां दिख रहीं थीं। मगर अनलाक के साथ ही शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया। रांची में आज से 30 वर्ष पहले गर्मी के दिनों में भी इतना ज्यादा तापमान नहीं होता है। साथ ही हर रोज बारिश होती थी। मगर हमने शहर के पेड़-पौधों को काटकर प्रदूषण का स्तर बढ़ा दिया। यहां की आबोहवा ही बदल गई। अनलाक के बाद शहर में बड़ी संख्या में बाइक और कार की बिक्री हुई। इसका असर अब वातावरण पर दिख रहा है।