Sarla Birla University: रटे रटाए पाठ पढ़ाना शिक्षक का कार्य नहीं, नागरिकों में चरित्र निर्माण करना शिक्षा का मूल उद्देश्य : डा सिंह
Sarla Birla University एक शिक्षक ही अपने श्रेष्ठ आचरण व्यवहार और कर्म के द्वारा समाज की दिशा व दशा को बदलकर राष्ट्र को न केवल चरमोत्कर्ष पर ला सकता है बल्कि उसे सर्वश्रेष्ठ बना सकता है। केवल रटी रटाई चीजों को बताना शिक्षक का कार्य नहीं होना चाहिए।
रांची,जासं। सरला बिरला विश्वविद्यालय में सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का संचालन किया जा रहा है। वैल्यू एंड एथिक्स इन टीचिंग विषय पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. सुरेश प्रसाद सिंह ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा में परंपरागत मूल्यों एवं नैतिकता का होना अति आवश्यक है। मानवीय मूल्य ही भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। शिक्षा में यदि मूल्य का ह्रास होता है तो उससे मानवता का हनन होता है। सामाजिक जड़ता का अवसान शिक्षकों के प्रयास से ही संभव है।
एक शिक्षक ही अपने श्रेष्ठ आचरण, व्यवहार और कर्म के द्वारा समाज की दिशा व दशा को बदलकर राष्ट्र को न केवल चरमोत्कर्ष पर ला सकता है बल्कि उसे सर्वश्रेष्ठ बना सकता है। केवल रटी रटाई चीजों को बताना शिक्षक का कार्य नहीं होना चाहिए। शिक्षक को चरित्रवान, नैतिकवान, मानवीय मूल्यों ,प्रेम व सहानुभूति से परिपूर्ण ,धैर्यवान बौद्धिक योद्धा के तौर पर समाज का नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी उत्तरदायित्व का निर्वाह करना चाहिए।
आगे उन्होंने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय मानवता व अंतरराष्ट्रीय तथा विश्व बंधुत्व को बढ़ावा देना है जिससे संपूर्ण राष्ट्र के प्रति मानवीय संवेदना विकसित की जा सके। शिक्षा का उद्देश्य ही मानव निर्माण करना है जिसके अंतर्गत नैतिकता, सच्चरित्रता, ईमानदारी व मानव के प्रति संवेदनाएं हों। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मानव व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास है। उन्होंने कहा कि हिम्मत वाले का कोई काम नहीं रुकता और जिसके कर्म अच्छे होते हैं वही जीवन में उपलब्धियों को हासिल करता है। उन्होंने कहा कि सरला बिरला विश्वविद्यालय शिक्षा जगत में एक देदीप्यमान सूर्य की भांति है जो सदैव गुणवत्तायुक्त शिक्षा की किरणों से समाज को प्रकाशित कर रहा है।
कार्यक्रम में अतिथि का स्वागत एवं परिचय एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संदीप कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो आरोही आनंद एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा मेघा सिन्हा के द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डा गोपाल पाठक कुलसचिव प्रो डा विजय कुमार सिंह, प्रो श्रीधर बी डांडिन, प्रो संजीव बजाज, डा अलोकेश बनर्जी, डा बी सी सिन्हा, डा राधा माधव झा, डा पार्थ पाल, प्रो शुभंकर घटक, प्रो अशोक अस्थाना, प्रो करण प्रताप सिंह, डा पूजा मिश्रा, डा भारद्वाज शुक्ल, डी अंबा, प्रवीण कुमार, आदित्य रंजन, आनंद विश्वकर्मा, शिखा राय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैकड़ों शिक्षक प्रतिनिधि उपस्थित थे।