मां की मौत पर भी नहीं मिली छुट्टी, ड्यूटी में रहते किया अंतिम क्रिया कर्म Ranchi News

Ranchi News Jharkhand Samachar शिक्षक की रांची सदर अस्पताल के कोविड सेंटर में ड्यूटी लगी है। मां की मृत्यु की जानकारी देते हुए छुट्टी देने का आग्रह किया। लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली। उन्हें कहा गया कि छुट्टी देना उनके अधिकार में नहीं है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 02:23 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 02:28 PM (IST)
मां की मौत पर भी नहीं मिली छुट्टी, ड्यूटी में रहते किया अंतिम क्रिया कर्म Ranchi News
Ranchi News, Jharkhand Samachar उन्हें कहा गया कि छुट्टी देना उनके अधिकार में नहीं है।

रांची, [प्रणय कुमार सिंह]। Ranchi News, Jharkhand Samachar मां की मृत्यु हो गई। बेटा ने अंतिम संस्कार किया। इसके बाद पदाधिकारी से छुट्टी मांगने गए। क्योंकि अंतिम संस्कार करने वाला व्यक्ति घर से इधर-उधर नहीं जाता है। लेकिन छुट्टी नहीं मिली। इसके बाद वह ड्यूटी करने लगे। बात हो रही है रांची के सदर अस्पताल में बनाए गए कोविड वार्ड में ड्यूटी पर लगाए गए एक सहयोगी कर्मी की। कोविड वार्ड में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ वहां की व्यवस्था को संभालने के लिए विभिन्न विभागों से कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया गया है।

इनमें शिक्षक भी हैं। एक प्रतिनियुक्त शिक्षक महेंद्र प्रसाद की मां की मृत्यु बीते छह मई को हो गई। बेटा ने मां का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद वे कोविड सेंटर में कार्मिक टीम के वरीय प्रभारी राजेश कुमार को मां की मृत्यु की जानकारी देते हुए छुट्टी देने का आग्रह किया। लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली। उन्हें कहा गया कि छुट्टी देना उनके अधिकार में नहीं है। इधर, ईश्वर की कृपा थी कि दसकर्म के दिन नियमानुसार ड्यूटी का स्लॉट पूरा हो गया और उन्हें एक सप्ताह के लिए छुट्टी मिल गई।

हैं 1500 शिक्षक, लेकिन 300 की हर बार लगती है ड्यूटी

कोविड सेंटर में व्यवस्था को संभालने के लिए कुल नौ अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं। इसमें मैनेजमेंट टीम, डेथ मैनेजमेंट टीम, स्क्रीनिंग टीम आदि हैं। कई टीमों में दो ग्रुप क व ख बनाए गए हैं। इन्हें एक-एक सप्ताह की ड्यूटी बदल-बदल कर लगाई जाती है। यहां प्रतिनियुक्त कर्मी पिछले 18 अप्रैल से ड्यूटी में हैं। एक सप्ताह ग्रुप क तो दूसरा सप्ताह ग्रुप ख ड्यूटी करता है। बात शिक्षक की करें तो करीब 50 शिक्षकों की ड्यूटी लगी है। शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों व शिक्षिकाओं को छोड़ भी दें तो केवल शहरी क्षेत्रों में ही प्राथमिक से प्लस टू तक के करीब 1500 शिक्षक होंगे।

इसमें अल्पसंख्यक स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं। रांची में कोविड ड्यूटी में करीब 300 शिक्षकों को लगाया गया है। बाकी शिक्षकों की ड्यूटी ही नहीं लगती है। बार-बार इन्हीं शिक्षकों का रोटेशन किया जाता है। बीते वर्ष भी कोरोना काल में ऐसा ही हुआ था। इसके बाद ड्यूटी कर रहे शिक्षकों ने डीसी से मिलकर पूरी जानकारी दी थी। इसके बाद बचे हुए शिक्षकों को ड्यूटी में लगाया गया था। 

ड्यूटी लगाने में होता है खेला

ड्यूटी पर नहीं लगाए गए अधिकतर शिक्षक प्राथमिक, मध्य व अल्पसंख्यक विद्यालय के होते हैं। दरअसल शिक्षकों की सूची जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से आती है। यहां से अधिकतर हाई स्कूल व प्लस टू विद्यालयों के शिक्षकों का नाम भेज दिया जाता है। चूंकि जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय का क्षेत्राधिकार मध्य विद्यालय तक आता है। ऐसे में हाई स्कूल व प्लस टू स्कूल के शिक्षकों का आरोप रहता है कि इस कार्यालय में प्राथमिक शिक्षक हावी रहते हैं। इसलिए उनका नाम ड्यू्टी के लिए नहीं भेजा जाता है।

chat bot
आपका साथी