Ranchi news : मां का तड़पना कैसे बर्दाश्त होता, जीवन की डोर टूटे नहीं, बेटा मुंह से सांस देता रहा...

कोरोना महामारी के दौर में हर तरफ दिल दहला देने वाला नजारा दिखाई दे रहा है। व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। अस्पताल श्मशान घाट में तब्दील हो चुके हैं। कोई किसी को देखने वाला नहीं है। कोई किसी को पूछने वाला नहीं है।

By Sanjay Kumar SinhaEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 07:00 AM (IST)
Ranchi news : मां का तड़पना कैसे बर्दाश्त होता, जीवन की डोर टूटे नहीं, बेटा मुंह से सांस देता रहा...
एक बेटा अपनी मां और पिता को एंबुलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचा

जासं, रांची : सदर अस्पताल परिसर में एक जीप पहुंची है। जीप पर पुलिस लिखा है। नेपाल हाउस से एक महिला को जीप में लाया गया है। कोविड पॉजिटिव हैैं। हालत गंभीर है। जीप में महिला के साथ उसके पति और बेटा हैैं। उनके साथ परिवार का एक और व्यक्ति आया है जो बाइक से है। वह आनन-फानन सिलेंडर के लिए दौड़ता है। बेटा जीप से उतरकर परिसर में पूछ रहा है। अस्पताल पहुंचने के बावजूद मरीज को वाहन से उतारने के लिए न तो कोई स्वास्थ्य कर्मचारी आया। ना ही सिलेंडर उपलब्ध कराया गया।

गेट के पास कैंप है। स्वास्थ्यकर्मी बता रहे हैैं कि पहले जाकर पता करिए कि बेड खाली है कि नहीं। तीसरे फ्लोर पर जाना है। परिवार का एक सदस्य फौरन दौड़ कर गया है। इधर, मां की हालत खराब हो रही है। बेटा दौड़ कर आता है। पिता पर चिल्ला रहा है कि मां की हालत गंभीर हो रही है आपने बताया नहीं। मां की सांस तेज हो रही है। बेटा मां के सिर को अपनी गोद में लेकर मुंह से फूंक कर सांस दे रहा है।  मानव सभ्यता पर छाए संकट के दौर में यह नजारा देखने वालों की आंखों से आंसू आ गए। परिवार की दूसरी महिला इस प्रक्रिया में बेटे की मदद कर रही है। तभी पता चला कि ऊपरी फ्लोर पर ले चलना है। आक्सीजन सिलेंडर आ गया है। बेटा मां को अस्पताल के अंदर ले जाता है। 

12.15 बजे : सदर अस्पताल 

एक बेटा अपनी मां और पिता को एंबुलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचा है। गया से एंबुलेंस आई है। भर्ती करने की लंबी औपचारिकता पूरी करने के बीच मां को आक्सीजन की जरूरत थी। बेटा दौड़ते-भागते जब तक सिलेंडर लेकर आया। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एंबुलेंस में लगा सिलेंडर निकालने और नया सिलेंडर लगाने के बीच गुजरे चंद मिनटों में ही कोरोना पीडि़त मां की जान चली गई। अस्पताल की चौखट पर उम्मीद टूटने से परिवार का व्यवस्था से भरोसा उठ गया। परिवार चीखने चिल्लाने के साथ सिस्टम को कोसता नजर आया। 

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