मिला हक, तीन दिन बाद साढ़े सात लाख मुआवजा के साथ रांची लौटा सुरेंद्र का शव

रांची हर मिला। कंपनी के अधिकारियों को झुकना पड़ा। शुक्रवार को सुरेंद्र का शव रांची लाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 02:06 AM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 06:20 AM (IST)
मिला हक, तीन दिन बाद साढ़े सात लाख मुआवजा के साथ रांची लौटा सुरेंद्र का शव
मिला हक, तीन दिन बाद साढ़े सात लाख मुआवजा के साथ रांची लौटा सुरेंद्र का शव

जागरण संवाददाता, रांची : हर मिला। कंपनी के अधिकारियों को झुकना पड़ा। शुक्रवार को सुरेंद्र महतो का शव 16 दिनों बाद दोपहर दो बजे इंडिगो के दिल्ली-रांची विमान से बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। परिजनों को सुरेंद्र का शव दिए जाने के बाद कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड की ओर से सुरेंद्र की पत्नी सावित्री देवी को मुआवजे के तौर पर 7.50 लाख व एक माह का वेतन 27,160 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दिया गया। उसके बाद परिजन सुरेंद्र के शव को एंबुलेंस से गोमिया के चतरोचंट्टी थाना स्थित बड़की सिधमारा गांव ले गए।

कंपनी में बीमा का काम देख रहे अधिकारी चंदन कुमार ने बताया कि सुरेंद्र की मौत के बाद कंपनी ने कुल 12.50 लाख रुपये देने की घोषणा की है। बीमा की पांच लाख रुपये की राशि सुरेंद्र का शव प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर उनकी पत्नी के बैंक खाते में भेज दिया जाएगा। इससे पूर्व सुरेंद्र के दाह-संस्कार के लिए उनकी पत्नी के बैंक खाता में कंपनी की ओर से 55 हजार रुपये भेजे गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी की शर्त के अनुसार यदि सुरेंद्र के परिवार से कोई व्यक्ति कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड में तकनीकी काम करना चाहते हैं तो कंपनी की ओर से उन्हें नौकरी भी दी जाएगी। इस अवसर पर सुरेंद्र के चाचा खिरोधर महतो, भाई कमलेश महतो, गांव से आए जलेश्वर महतो, ललित महतो, सुरेंद्र की पत्नी की बहन ललिता देवी, अनज कुमार उर्फ इंद्रजीत कुमार उपस्थित थे।

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मुआवजे की राशि की लिखित जानकारी नहीं दी गई थी : सावित्री

सुरेंद्र की पत्नी ने बताया कि 25 फरवरी को कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड ने इंडिगो के विमान से सिर्फ सुरेंद्र का शव भेजा था। कंपनी के अधिकारियों ने मुआवजे के तौर पर दी जाने वाली राशि की कोई लिखित जानकारी नहीं दी थी। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर सुरेंद्र का शव रिसीव करने के लिए पूरे परिवार पर दबाव बनाया जा रहा था। पूर्व में कंपनी की ओर से मात्र 10 लाख रुपये मुआवजा देने की बात कही गई थी। हालांकि जब सुरेंद्र का शव दक्षिण अफ्रीका से रांची भेजा गया तो मुआवजा की सही जानकारी नहीं दी गई, जिसके कारण परिवार वालों ने शव लेने से इन्कार कर दिया था। अब कंपनी के अधिकारियों ने कुल 12.50 लाख रुपये देने की बात कही है।

दक्षिण अफ्रीका के मुरुतानिया में हो गई थी मौत

सावित्री ने बताया कि उनके पति कल्पतरू कंपनी के कर्मचारी थे। 12 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका के मुरुतानिया में ट्रांसमिशन लाइन करते वक्त करंट लगने से उनकी मौत हो गई थी। जिस जगह पर वे ट्रांसमिशन लाइन का काम कर रहे थे, वहां जेनरेटर का लाइन ऑन था। सुरेंद्र के चाचा खिरोधर महतो ने बताया कि वे दलाल के चक्कर में पड़ गए थे। कंपनी का ही एक अधिकारी उन्हें मुआवजा की राशि को लेकर तरह-तरह के झांसे दे रहा था।

गोमिया में प्रवासी मजदूरों के लिए हित के लिए काम कर रहे सिकंदर अली ने बताया कि सुरेंद्र का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। काफी प्रयास के बाद कंपनी के अधिकारियों व सुरेंद्र के परिजनों के बीच मुआवजे की राशि को लेकर सहमति बनी।

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