सरकार के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती में किसान आजमा रहे हाथ

रांची सरकार के सहयोग से राज्य के प्रगतिशील किसान स्ट्रॉबेरी की खेती में हाथ आजमा रहे हैं। स्ट्रॉबेरी अब झारखंड के खेतों में भी अपनी रसीली लालिमा बिखेरने लगी हैं। सैकड़ों किसान परंपरागत खेती से अलग बाजार की मांग के अनुरूप इस खेती की बदौलत कदमताल करने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 08:37 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 08:37 PM (IST)
सरकार के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती में किसान आजमा रहे हाथ
सरकार के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती में किसान आजमा रहे हाथ

रांची : सरकार के सहयोग से राज्य के प्रगतिशील किसान स्ट्रॉबेरी की खेती में हाथ आजमा रहे हैं। स्ट्रॉबेरी अब झारखंड के खेतों में भी अपनी रसीली लालिमा बिखेरने लगी हैं। सैकड़ों किसान परंपरागत खेती से अलग बाजार की मांग के अनुरूप इस खेती की बदौलत कदमताल करने लगे हैं। उन्हीं में शामिल हैं पलामू के शुभम, रामगढ़ की गुलाबी देवी और चाईबासा की सुनाय चातर, शंकरी कुंटिया, रानी कुंकल, सुनिता सामड जैसे सैकड़ों नाम। दो कदम आगे बढ़ अब इन किसानों ने टिशू कल्चर स्ट्रॉबेरी किस्म के पौधों को भी विकसित करना शुरू कर दिया है।

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सरकारी योजनाएं बढ़ा रहीं स्ट्राबेरी की मिठास :

राज्य सरकार लगातार स्ट्राबेरी की खेती करने वाले किसानों के हौसले को प्रोत्साहित कर रही है। इन किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती में वैज्ञानिक विधि अपनाने पर बल दे रही है। समय-समय पर तकनीकी सहायता दिला रही है। सरकार की कूप निर्माण और सूक्ष्म टपक सिचाई योजना स्ट्रॉबेरी की मिठास को बढ़ाने में सहायक हो रही है। सरकार स्ट्रॉबेरी की फसल की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध करा रही है। नतीजा यह है कि जहां किसानों की आजीविका को गति मिल रही है, वहीं उन्हें प्रति एकड़ ढाई लाख रुपये तक की आमदनी भी हो रही है।

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कृषकों ने दिखाई रुचि, सरकार ने किया सहयोग :

राज्य सरकार ने किसानों को उन्नत कृषि की योजनाओं से जोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। इच्छुक प्रगतिशील किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती की विधि की जानकारी उपलब्ध कराई गई। सरकार के सहयोग से उनके खेतों में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हुई। प्रगतिशील किसानों के उत्साहवर्धक सहभागिता के कारण स्ट्राबेरी की खेती अन्य किसानों के लिए प्रेरक बन रही है। ऐसे किसानों को भी स्ट्राबेरी की खेती से जोड़ने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है।

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झारखंड की स्ट्रॉबेरी किसी ठंडे प्रदेश से कम नहीं :

झारखंड की स्ट्राबेरी बिहार, छत्तीसगढ़ तथा बंगाल के कई शहरों में भेजी जा रही है। झारखंड की स्ट्रॉबेरी की मिठास किसी ठंडे प्रदेश में उत्पादित स्ट्राबेरी से कम नहीं है। झारखंड में इसकी खेती सैकड़ों एकड़ में हो रही है। अगर पलामू के हरिहरगंज की बात करें, तो यहां के किसान 30 एकड़ भूमि में स्ट्रॉबेरी उपजा रहे हैं। स्ट्राबेरी की मांग बाजार में काफी अच्छी है। विशेषकर कोलकाता में इसकी काफी बिक्री हो रही है। कोलकाता के बाजार में स्ट्राबेरी पहुंचते ही हाथों हाथ क्रय कर लिया जा रहा है। इस तरह, झारखंड के किसानों को राज्य सरकार द्वारा बाजार की मांग के अनुरूप स्ट्रॉबेरी, ब्रोकोली, वाटरमेलन, मस्कमेलन, बेबी कॉर्न तथा ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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