झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बोले, हम साफ दिल और खुले मन से कर रहे गठबंधन
Dr. Ajoy Kumar. लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने विपक्षी गठबंधन का दायरा बढ़ाने पर जोर दिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में विपक्षी दलों की एकजुटता पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। कोलेबिरा विधानसभा उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रुख ने इसे ज्यादा गंभीर बना दिया है। मोर्चा की चाल से कांग्रेस सतर्क है। कांग्रेस ने कोलेबिरा में प्रत्याशी उतारकर विपक्षी गठबंधन के अन्य दलों का समर्थन पाने में सफलता हासिल की है। अब पार्टी की नजर गठबंधन को मुकाम तक पहुंचाने की है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अजय कुमार इस मुहिम में लगे हैं कि विपक्षी गठबंधन का दायरा बढ़े। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा पर बगैर टिप्पणी किए उन मुद्दों पर ज्यादा संजीदगी दिखाते हैं जो आमलोगों के जेहन में है। उनका यह भी मानना है कि गठबंधन साफ दिल और खुले मन से होना चाहिए। इसके लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार हो। सत्ता परिवर्तन से ज्यादा आवश्यक सिस्टम में बदलाव लाना है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अजय कुमार से विपक्षी राजनीति के तमाम पहलुओं पर बातचीत की दैनिक जागरण के उप ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह ने।
सवाल--आप भाजपा के खिलाफ गठबंधन तैयार करने में जुटे हैं लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा का रूख अलग प्रतीत हो रहा है।
जवाब : तात्कालिक तौर पर बनी परिस्थितियां स्थायी नहीं होती। झारखंड मुक्ति मोर्चा पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। हमारा गठबंधन बड़ा हीं व्यापक है। इसमें समान विचारधारा वाले दलों का समावेश है। जाहिर है अब यूपीए का दायरा बढ़ेगा। राष्ट्रीय स्तर पर टीडीपी, जेडीएस समेत कई दल हमसे जुड़़ रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा हमसे अलग नहीं है। बाबूलाल मरांडी भी हमारे साथ हैं।
सवाल--लेकिन कोलेबिरा में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आपका साथ नहीं दिया। इससे यह संदेश जाता है कि कहीं न कहीं कोई गड़बड़ है।
जवाब : कहीं कोई प्राब्लम नहीं है। जेएमएम की राजनीतिक मजबूरी भी हो सकती है। देखिए सौ फीसद गठबंधन कहीं नहीं होता। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। हमें झाविमो, वामदलों, राजद आदि ने समर्थन का एलान किया है। हमारा यही गोल है। हम साफ दिल और खुले मन से गठबंधन कर रहे हैं। एक-दूसरे की मजबूती में ही हमारा लक्ष्य निहित है। यह भी किसी फुटबाल या क्रिकेट टीम सरीखा है। कोई एक व्यक्ति की जीत नहीं होती, जीत पूरी टीम की होती है।
सवाल--लेकिन कोई ब्लूप्रिंट तो होगा गठबंधन का? किस प्रकार सबको एक साथ लेकर चलेंगे?
जवाब : इसमें कोई परेशानी नहीं है। हम एक साथ बैठकर कामन मिनिमम प्रोग्र्राम तय करना चाहते हैं। गठबंधन होता रहेगा, लेकिन हम यह लोगों को बताना चाहते हैं कि हमें मौका मिला तो हम चुनिंदा पांच या दस काम करेंगे। हमने इसे सूचीबद्ध भी किया है। गांवों में सिंचाई और पीने के लिए पानी की व्यवस्था, खेती और उससे जुड़े व्यवसाय को बढ़ाना, ग्र्रामीण क्षेत्रों का विकास करना हमारी प्राथमिकता होगी। हम यह कर दिखाएंगे। हम एक साझा कार्यक्रम बनाकर आगे बढ़ेंगे।
सवाल--ऐसे कल्याणकारी कार्यक्रम तो राज्य सरकार भी चला रही है। लगातार मुख्यमंत्री राज्य में दौरा कर रहे हैं।
जवाब : मुख्यमंत्री रघुवर दास पूरी तरह फेल हैं। वे जितना हेलीकाप्टर पर खर्च कर चुके हैं उससे कई स्कूल और कॉलेज बन चुके होते। उनकी सरकार काम कम और दिखावा ज्यादा कर रही है। हम दिखावे में विश्वास नहीं करते। हम स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों की बहाली करेंगे। पुलिस कमीशन बनाकर पुलिस को आम जनता के प्रति जवाबदेह बनाएंगे।
सवाल-राज्य की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए भाजपा के सहयोगी दल विपक्षी गठबंधन के साथ आ सकते हैं क्या?
जवाब : कई दलों के नेता हमारे संपर्क में हैं। इसका मैं खुलासा नहीं करूंगा। लेकिन अभी तक हमने भाजपा के किसी सहयोगी दल से संपर्क नहीं किया है। शायद आपका इशारा आजसू की तरफ है तो आजसू जबतक सरकार में है उससे कोई बात नहीं हो सकती है। एक बात समझिए, भाजपा का सफाया तय है। पूरे देश में नरेंद्र मोदी के खिलाफ हवा चल रही है। झारखंड में रघुवर दास के खिलाफ सुनामी चल रही है। ये लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराना चाहते हैं। दोनों जनता की आंधी में उड़ जाएंगे।