आजादी की लड़ाई के समय से शुरू हो गई थी राज्य गठन पटकथा लेखन

झारखंड के गठन के पीछे लंबी कहानी लंबा इतिहास लंबी लड़ाई लड़ी गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:00 AM (IST)
आजादी की लड़ाई के समय से शुरू  हो गई थी राज्य गठन  पटकथा लेखन
आजादी की लड़ाई के समय से शुरू हो गई थी राज्य गठन पटकथा लेखन

जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड के गठन के पीछे लंबी कहानी, लंबा इतिहास, लंबी लड़ाई एवं कुर्बानियों की लंबी सूची रही है। राज्य के गठन की कहानी आजादी की लड़ाई के समय से ही लिखनी शुरू हो गयी थी। आजादी की लड़ाई में आदिवासी समुदाय की भूमिका लिपिबद्ध नहीं की गई। यह बातें परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने कहीं। वे मंगलवार को 'भारतीय विधायिका और संसदीय लोकतंत्र में आदिवासी हस्तक्षेप और योगदान' के शताब्दी वर्ष 1921-2021 पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

सेमिनार का आयोजन डा. रामदयाल मुंडा आदिवासी कल्याण शोध संस्थान सभागार में हुआ। आयोजन झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा एवं जनजातीय शोध संस्थान ने संयुक्त रूप से किया था। मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि आजादी की लड़ाई में आदिवासियों की भूमिका लिपिबद्ध नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक रणेंद्र ने कहा कि देश के पहले जनजातीय विधायक ढुलू मानकी थे, जिन्होंने विधानसभा में अविभाजित बिहार झारखंड में कालेज खोलने की मांग की थी। साथ ही घास काटने से लेकर जल, जंगल और जमीन में आदिवासियों के अधिकार की वकालत की थी।

कार्यक्रम के संयोजक आदिवासी विषयों के स्टोरीटेलर अश्विन कुमार पंकज ने कहा कि वर्ष 1921 में आदिवासी मुद्दों को लेकर लोकतंत्र में प्रखर आवाज बनने वाले सभी राजनेताओं का दस्तावेजीकरण होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी महानायकों के योगदान व विचारधारा से अवगत हो सके। इन नायकों में छोटानागपुर क्षेत्र से इग्नेस बेक, पतरस हुरद, शावमेल पूर्ति, थियोडोर सुरीन, प्यारा केरकेट्टा, बोअस, मार्शल कुल्लू, कोल्हान क्षेत्र से ढुलू मानकी, सुरेंद्र नाथ बिरूवा, लोपो देवगम, गारबेट कैप्टन मानकी, सिदू हेम्ब्रोम, कानूराम देवगम, संथाल क्षेत्र से भादो हेम्ब्रू, फागु हेम्ब्रोम, सागाराम हेम्ब्रोम, मोहन मरांडी, डोबोरा टुडू आदि के नाम प्रमुख हैं।

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