श्रमण मुनि विशल्यसागर ने कहा, बुराइयों का त्याग एवं स्वयं की वस्तु का दान करना चाहिए

श्रमण मुनि विशल्यसागर ने बुराइयों का त्याग एवं स्वयं की वस्तु का दान करने की सीख दी। कहा जिसने इच्छाओं का त्याग कियाउसे घर छोड़ने की क्या आवश्यकता और जो इच्छाओं का दास है उसको वन में रहने से क्या लाभ हो सकता है।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 11:41 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 11:41 AM (IST)
श्रमण मुनि विशल्यसागर ने कहा, बुराइयों का त्याग एवं स्वयं की वस्तु का दान करना चाहिए
श्रमण मुनि विशल्यसागर ने बुराइयों का त्याग एवं स्वयं की वस्तु का दान करने की सीख दी।

रांची, जासं। त्याग एक सात्त्विक आनंद है, जो पुरुष समस्त कामनाओं का त्यागकर निस्स्पृह होता है तथा ममता और अहंकार का त्याग करता है वह शांतिति को प्राप्त करता है। जिसने इच्छाओं का त्याग किया,उसे घर छोड़ने की क्या आवश्यकता और जो इच्छाओं का दास है उसको वन में रहने से क्या लाभ हो सकता है। सच्चा त्यागी जहां रहे, वहीं वन है और वही भजन है। सांप कैचुली को त्याग देता है, पर विष को नहीं। इस प्रकार कुछ लोग वेश तो धारण करते हैं परंतु लालसाओं का त्याग नहीं कर पाते। त्याग जीवन की अनिवार्य शर्त है। भोग नहीं,क्योंकि त्याग भोग का अविभाज्य अंग है।

भोग के बिना जैसे जीवन नहीं ठहर सकता, वैसे ही त्याग के बिना जीवन नहीं रह सकता। त्याग के बिना न देश भक्ति हो सकती है न आत्म कल्याण। अनासक्ति अनिवार्य है। जो अपना नहीं था,अपना नहीं है,अपना नहीं रहेगा। त्याग का स्वाद चखने के बाद भी नया त्याग करने से जो ऊबता है उसने असली त्याग का स्वाद चखा ही नहीं। बोये हुए बीज से दस गुना नया निकलता है, वैसे ही किये हुए त्याग से दस गुना त्याग करने की स्फूर्ति होनी चाहिए।ऐसा न होगा तो किया हुआ त्याग बंध्या साबित होगा।

जो जीव पर-द्रव्यों के मोह को छोड़कर संसार,देह और भोगों से उदासीन परिणाम रखता है, उसके त्याग धर्म होता है। मुनि श्री ने कहा कि त्याग बुराइयों का किया जाता है, और दान वस्तुओं का किया जाता है। उन्होंने कहा कि दान एक वट बीज की तरह होता है। जैसे वट का बीज बहुत छोटा होता है, लेकिन वृक्ष बहुत बड़ा होता है, उसी प्रकार अपनी वस्तु का थोड़ा सा दिया गया सम्यक दान कई हजार गुना फलित होता है। आज त्याग धर्म के पर्व पर जैन समाज के कई लोगों ने संस्कृति की सुरक्षा के कई नियम लिए। मुनिजी के प्रवचन का लोग लाभ उठा रहे हैं।

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