डायन-बिसाही के नाम पर झारखंड में हर साल 50 हत्याएं, अंधविश्वास के नाम पर अपने ही ले रहे जान

SHOCKING Jharkhand News झारखंड में डायन-बिसाही के नाम पर पांच वर्षों में 250 लोगों की हत्या की गई है। 2015 से 2020 के बीच डायन-बिसाही के 4658 मामले दर्ज हुए हैं। अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण लोग अपनों की ही हत्या कर देते हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 10:54 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 10:57 AM (IST)
डायन-बिसाही के नाम पर झारखंड में हर साल 50 हत्याएं, अंधविश्वास के नाम पर अपने ही ले रहे जान
SHOCKING Jharkhand News अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण लोग अपनों की ही हत्या कर देते हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। SHOCKING Jharkhand News झारखंड में अंधविश्वास के नाम पर हत्याओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में गुमला के कामडारा में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या डायन-बिसाही के आरोप में कर दी गई। वहीं राजधानी रांची से सटे कांके में भी एक दिन पहले दंपती की हत्या कर दी गई। झारखंड पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2015 से 2020 के इन पांच वर्षों में डायन-बिसाही के नाम पर 250 लोगों की हत्या कर दी गई। इस अवधि में डायन-बिसाही से जुड़े कुल 4660 मामले राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज किए गए।

कई मामलों में तो हत्यारों ने मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा। इन घटनाओं का सबसे दुखद पहलू यह है कि ज्यादातर मामलों में गांव वालों ने एकजुट और एकमत होकर ये हत्याएं कीं। पीडि़त रहम की भीख मांगते रहे, लेकिन कल तक उनके साथ हंसने-बोलने-खेलने वालों ने ही बर्बरता पूर्वक जान ले ली। जिन इलाकों में डायन-बिसाही में हत्या की घटनाएं हुई हैं, वहां ग्रामीण अशिक्षा और अंधविश्वास की गिरफ्त में जकड़े हैं। कई मामलों में संपत्ति हड़पने के लिए भी डायन-बिसाही का आरोप लगा पूरे परिवार की हत्या कर देने के मामले सामने आए हैं।

वहीं अंधविश्वास में गांव में कभी किसी के बीमार होने के लिए तो कभी किसी की मौत होने के लिए यहां तक कि पशुओं की मौत के लिए भी जिम्मेदार ठहरा लोग किसी को भी डायन करार देते हैं। इस मामले में झाड़-फूंक करने वाले ओझा-गुनी की भी भूमिका रहती है, जो ग्रामीणों की अज्ञानता का फायदा उठाकर अंधविश्वास को बढ़ावा देते रहते हैं। ओझा-गुुनी ही चिन्हित कर बताते हैं कि किस गांव में कौन डायन है।

गुमला में 70-80 ग्रामीणों ने मिलकर रची थी हत्या की साजिश

गुमला जिले के कामडारा प्रखंड स्थित बुरूहातु आमटोली गांव में मंगलवार की रात हुए नरसंहार में पूरे गांव की भू्मिका थी। गांव के 70-80 लोगों ने मिलकर पंचायत में यह तय किया था कि  निकोदीन टोपनो के पूरे परिवार को मार दिया जाना है। इसके लिए स्थानीय मुंडारी भाषा में माइक से घोषणा भी की गई थी। गांव के आठ लोग इस काम के लिए चिन्हित किए गए, जिन्होंने रात में निकोदीन उसकी पत्नी, बेटा-बहू और पोते की हत्या कर दी। गुमला के एसपी एचपी जनार्दनन ने कहा कि सभी अभियुक्तों के खिलाफ डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। शेष लोगों पर भी कार्रवाई होगी। एसपी ने  बताया कि इस गांव में शिक्षा की कमी है। इस कारण  ग्रामीण अंधविश्वास से जकड़े हुए है।

खूंटी के ओझा के कहने पर उतारा मौत के घाट, हल्दी काटकर खिलाई कसम

पुलिस जांच में पता चला है कि गांव में पशुओं और लोगों की मौत हो रही थी। हालात को ठीक करने के लिए गांववाले खूंटी जिले के एक ओझा के पास गए। उसने इस हालात के लिए गांव के ही कुछ लोगों की ओर इशारा कर जिम्मेदार ठहरा दिया। इसके बाद इस घटना को अंजाम दिया गया।

पद्मश्री छुटनी ने कहा, कानून का खौफ जरूरी

कभी डायन करार देकर महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किए जाने के बाद ढाई दशक से डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करती आ रहीं सरायकेला निवासी पद्मश्री छुटनी देवी का स्पष्ट मानना है कि इस कलंक से राज्य को मुक्ति दिलाने में कानून सार्थक हथियार साबित हो सकता है, बशर्ते कि इसका खौफ अंतिम व्यक्ति तक में हो। इससे इतर शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरुकता और रोजगार भी इस कलंक से मुक्ति का मजबूत आधार बन सकता है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही गैर सरकारी संस्थाओं के अलावा पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका इसमें कारगर हो सकती है।

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