Shailpriya Memorial Award 2021 : लेखिका रश्मि शर्मा को छठा शैलप्रिया स्मृति सम्मान
Shailpriya Memorial Award झारखंड की वरिष्ठ कवयित्री शैलप्रिया(Poet Shailpriya) की स्मृति में स्त्री लेखन के लिए दिए जाने वाले सम्मान के लिए इस वर्ष रांची की लेखिका रश्मि शर्मा(Rashmi Sharma) का चयन किया गया है। इस सम्मान में 15000 रुपये की राशि और मानपत्र की व्यवस्था है।
रांची जासं। Shailpriya Memorial Award: झारखंड की वरिष्ठ कवयित्री शैलप्रिया(Poet Shailpriya) की स्मृति में स्त्री लेखन के लिए दिए जाने वाले सम्मान के लिए इस वर्ष रांची की लेखिका रश्मि शर्मा(Rashmi Sharma) का चयन किया गया है। इस सम्मान में 15,000 रुपये की राशि और मानपत्र की व्यवस्था है।
1 दिसंबर 1994 को 48 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुई रांची की लेखिका और स्त्री-अधिकारों से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता(Social Worker) शैलप्रिया की स्मृति में 2013 से स्त्री लेखन के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। मूलतः झारखंड क्षेत्र और जनजातीय समाज(Tribal Society) के अनुभवों को प्राथमिकता देने वाले स्त्री लेखन के लिए दिया जाने वाला यह सम्मान अब तक निर्मला पुतुल, नीलेश रघुवंशी, अनिता रश्मि, अनिता वर्मा और वंदना टेटे को मिल चुका है। इस वर्ष कविता और गद्य में समान रूप से सक्रिय रश्मि शर्मा को इस सम्मान के लिए चुनते हुए निर्णायक मंडल के सदस्यों सर्वश्री अशोक प्रियदर्शी, महादेव टोप्पो और प्रियदर्शन ने अपनी निम्नलिखित संस्तुति दी है-
राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं उनकी कहानियां:
‘पिछले कई वर्षों से अपनी निरंतर साहित्यिक सक्रियता से झारखंड की लेखिका रश्मि शर्मा ने हिंदी साहित्य(Hindi Literature) संसार का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने कविताओं से शुरुआत की और फिर कहानियों का रुख किया। उनके तीन प्रकाशित काव्य संग्रहों 'नदी को सोचने दो', 'मन हुआ पलाश' और 'वक्त की अलगनी पर' में उनकी समकालीन काव्य संवेदना के साथ-साथ एक लोक तत्व को आसानी से पहचाना जा सकता है। उनकी काव्य भाषा में अपनी तरह की सहजता है जो उनको कथा की ओर भी ले जाने में सहायक है। उनकी कहानियां राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। रूढ़ियों और परंपराओं के भंजन में अपनी तरह का योगदान करती ये कहानियां लगातार सराही गई हैं।
हाल के वर्षों में उन्होंने रांची पर कुछ प्यारे आलेख भी लिखे। उनकी कुछ रचनाओं में झारखंडी समाज और जीवन की झलक और इसे समझने की बेचैनी भी दिखाई पड़ती है। झारखंड की इस उभरती लेखिका को शैलप्रिया स्मृति सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा करते हुए शैलप्रिया स्मृति न्यास एक समृद्ध परंपरा के निर्वाह का अनुभव कर रहा है।' रश्मि शर्मा को यह सम्मान रांची में आयोजित एक समारोह में प्रदान किए जाने की योजना है।
कौन हैं रश्मि शर्मा.....
रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक और इतिहास में स्नात्कोत्तर करने वाली रश्मि शर्मा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे- पक्षधर, कथादेश, लोकमत, मधुमती, कथाक्रम, नया ज्ञानोदय, कथा-संवेद, आजकल, परिकथा, समालोचन, पाखी, कृति बहुमत, हिंदी चेतना, इंद्रप्रस्थ भारती, कादम्बिनी, सरस्वती-सुमन, पूर्वग्रह, शोध-दिशा, हरिगंधा, जनसत्ता, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, नई दुनिया आदि में कहानी, कविता, लेख, यात्रा-वृतांत, लघुकथा, हाइकु आदि का नियमित प्रकाशन हैं।
इसके अलावा तीन कविता-संग्रह जिसमें ' नदी को सोचने दो' (बोधि प्रकाशन) , ' मन हुआ पलाश' और ‘वक़्त की अलगनी पर' (अयन प्रकाशन) आदि प्रकाशित हैं। वहीं उनकी प्रथम कहानी- संग्रह 'बंद कोठरी का दरवाजा' सेतु प्रकाशन से शीघ्र ही प्रकाशित हुई हैं। इसके साथ धूप के रंग ( कविता-संग्रह) की संपादन भी इन्ही के द्वारा की गई हैं। और तो और उन्होंने सी.एस. डी. एस .नेशनल इनक्लूसिव मीडिया फेलोशिप (2013 ) प्राप्त करने के साथ-साथ सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न अवार्ड से भी सम्मानित हो चूकी हैं।
रश्मि शर्मा द्वारा अनुवादित किताबें:
इन्होंने कथा-संवेद (2020-21) की सर्वाधिक पढ़ी गई तीन कहानियों में शामिल 'निर्वसन' कहानी का अंग्रेजी में अनुवाद किया हैं। इसके अलावा लघुकथा 'सम्मोहन' का भी अंग्रेजी और मराठी दोनों भाषाओं में अनुवाद किया हैं। एक दशक तक सक्रिय पत्रकारिता करने के बाद अब पूर्णकालिक रचनात्मक लेखन और स्वतंत्र पत्रकारिता के रूप में काम कर रही हैं।