दो काउंसिलिग के बाद भी आइटीआइ में रिक्त रह गई सीटें

राज्य के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) की स्थिति यह है कि सीटें रिक्त पड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 08:00 AM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 08:00 AM (IST)
दो काउंसिलिग के बाद भी आइटीआइ में रिक्त रह गई सीटें
दो काउंसिलिग के बाद भी आइटीआइ में रिक्त रह गई सीटें

राज्य ब्यूरो, रांची : राज्य के सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) की स्थिति यह है कि दो-दो काउंसिलिग के बाद भी इनमें बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह गई हैं। अब रिक्त सीटों को भरने के लिए सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को अपने स्तर से आवेदन मंगाकर नामांकन लेने के निर्देश दिए गए हैं। उपायुक्तों की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति नामांकन की अनुमति प्रदान करेगी। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में दाखिला ट्रेड के अनुसार दसवीं या आठवीं कक्षा के प्राप्तांकों के आधार पर होता है। इसके लिए झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा आवेदन मंगाकर राज्य मेधा सूची तैयार की जाती है। पर्षद ने नामांकन के लिए राज्य मेधा सूची के आधार पर दो-दो बार काउंसिलिग की। इसके बाद भी संस्थानों में बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह गई हैं।

बताया जाता है कि संस्थानों में 25 से लेकर 50 प्रतिशत तक सीटें रिक्त रह गई हैं, जिनपर अब संस्थान स्तर पर ही जिला स्तरीय समिति की स्वीकृति पर नामांकन होगा। श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने इसे लेकर सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को निर्देश दिए हैं। कई संस्थानों ने इसकी प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। वेल्डर, प्लंबर आदि कई ऐसे ट्रेड हैं, जिनमें कुछ ई संस्थानों में शत-प्रतिशत सीटें रिक्त रह गई हैं। सभी आइटीआइ में सीटें रह गई हैं खाली

राज्य के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सीटें रिक्त रह गई हैं। राजधानी रांची स्थित आइटीआइ सामान्य में 340, आइटीआइ कल्याण में 119, आइटीआइ महिला में 125 तथा उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के अभ्यर्थियों के लिए खुले आइटीआइ में 20 सीटें रिक्त रह गई हैं। इसी तरह, आइटीआइ बोकारो में 148, आइटीआइ नवाडीह में 20, आइटीआइ सिमडेगा में 137, आइटीआइ बाघमारा में 79, आइटीआइ डालटनगंज में 151 तथा आइटीआइ विश्रामपुर में 106 सीटें रिक्त रह गई हैं। इसी तरह, अन्य संस्थानों में भी बड़ी संख्या में सीटें रिक्त रह गई हैं। अनुदेशकों और सुविधाओं की कमी

सीटों के रिक्त रह जाने के लिए संस्थानों में आधारभूत संरचनाओं की कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है। संस्थानों में अनुदेशकों की भी भारी कमी है। प्राचार्यों के पद भी रिक्त हैं। कई संस्थानों में इसकी जिम्मेदारी जिला नियोजन पदाधिकारी संभाल रहे हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सभी सीटें नहीं भरतीं। अधिक से अधिक सीटों पर नामांकन हो, इसके लिए अब जिला स्तर पर भी दाखिला के निर्देश दिए गए हैं। पंचायत स्तर पर बहाल किए गए श्रम मित्रों को भी लगाया गया है ताकि वे अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार कर सकें। संस्थानों में कुछ कमियां हैं, जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

नेहा अरोड़ा, निदेशक (प्रशिक्षण), श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग।

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