Coronavirus News: कोरोना संदिग्धों की पहचान करेंगे सहिया, सेविका और पारा शिक्षक, झारखंड में होगी सघन स्क्रीनिंग

Coronavirus News Update. सरकार ने सघन स्क्रीनिंग के लिए कमर कस ली है। लगातार पॉजिटिव केस मिलने के बाद सरकार ने निर्णय लिया है। प्रत्येक क्षेत्र में 50-50 लोगों की टीम बनेगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 01:34 PM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 01:34 PM (IST)
Coronavirus News: कोरोना संदिग्धों की पहचान करेंगे सहिया, सेविका और पारा शिक्षक, झारखंड में होगी सघन स्क्रीनिंग
Coronavirus News: कोरोना संदिग्धों की पहचान करेंगे सहिया, सेविका और पारा शिक्षक, झारखंड में होगी सघन स्क्रीनिंग

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में कोरोना के लगातार चार मरीज मिलने के बाद राज्य सरकार अब अधिक से अधिक जांच की कवायद में जुट गई है। इसके लिए कोरोना मरीजों या संदिग्ध मरीजों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने वाले सभी लोगों की पहचान कर उनकी जांच कराई जाएगी। इस कार्य में एएनएम (ऑक्जिलियरी नर्स एंड मिडवाइफ), स्वास्थ्य सहिया (आशा कार्यकर्ता या मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता), आंगनबाड़ी सेविका के अलावा सखी मंडल की महिलाओं (ये महिलाएं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आजीविका मिशन के तहत जुड़ी हुई हैं) को भी लगाया जाएगा।

इनके अलावा पारा शिक्षकों को भी इसमें लगाने पर विचार किया जा रहा है। इससे पहले, प्रखंड स्तर पर इसी सप्ताह इन सभी का प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल सुनिश्चित किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा कोरोना से निपटने को लेकर गठित पब्लिक हेल्थ सर्विलांस टास्क फोर्स की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि संदिग्ध मरीजों की पहचान के लिए क्षेत्रवार कम से कम 50 लोगों की टीम बनाई जाएगी।

प्रत्येक प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और अंचलाधिकारी (सीओ) के स्तर पर समन्वय समिति गठित होगी, जो इस टीम की मॉनीटरिंग करेगी। इधर, इस टास्क फोर्स की हुई एक और बैठक में कांटैक्ट ट्रेसिंग एवं क्लस्टर कंटेनमेंट की प्रणाली को और सुदृढ़ और कारगर बनाने का निर्णय लिया गया।

इसके लिए जिला स्तर पर कोषांग का गठन  किया जाएगा, जिसमें स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के पदाधिकारी नोडल पदाधिकारी होंगे। इस बैठक में प्रत्येक जिले में कोरोना मरीज मिलने पर त्वरित कार्रवाई के लिए क्विक रिेस्पांस टीम का गठन करने का भी निर्णय लिया गया है।

क्या है कंटेनमेंट जोन

तीन किलोमीटर का वह क्षेत्र होता है, जिसके केंद्र में किसी कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुए मरीज का आवास होता है। मरीज मिलने के बाद इस जोन को पूरी तरह सील कर दिया जाता है तथा उस क्षेत्र में रह रहे सभी लोगों की जांच कराई जाती है। रांची के हिंदपीढ़ी, हजारीबाग के विष्णुगढ़ तथा बोकारो के चंद्रपुरा स्थिति तेलो गांव में ऐसा ही हो रहा है, जहां करोना के मरीज मिले हैं।

क्या है कांटैक्ट ट्रेसिंग

जिस मरीज में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई है, वह पिछले 15 दिनों में किस-किस व्यक्ति से मिला है, उन व्यक्तियों की सूची बनाने को कांटैक्ट ट्रेसिंग कहते हैं। कांटैक्ट ट्रेसिंग करने के बाद ऐसे लोगों को क्वारंटाइन किया जाता है।

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