संस्कारशाला: घर से शुरू होती है संस्कार की पाठशाला

दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत शनिवार को फेसबुक पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:27 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 06:27 AM (IST)
संस्कारशाला: घर से शुरू होती है संस्कार की पाठशाला
संस्कारशाला: घर से शुरू होती है संस्कार की पाठशाला

जासं, रांची: दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत शनिवार को एसआर डीएवी पब्लिक स्कूल पुंदाग के प्राचार्य और अभिभावकों के साथ बच्चों ने दैनिक जागरण के ब्रांड झारखंड पेज के फेसबुक पर लाइव कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का विषय स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन रखा गया था। स्कूल के प्राचार्य संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि दैनिक जागरण समय-समय पर सामाजिक मामलों को लेकर अभियान चलाता रहता है। इनमें से संस्कारशाला भी बेहद अहम है। उन्होंने कहा की संस्कार सबसे पहले घर से मिलता है7 इसके लिए माता पिता को बच्चों को समय देना चाइए जिससे बच्चे समझ सके अपनी संस्कृति जो अपने माता और पिता से मिलता है। साथ ही, अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को आदर्श पुरुषों के बारे बताएं। उन्हें स्वाधीनता सेनानियों के बारे में बताए। स्वाधीनता संग्राम में हमारे हजारों की संख्या में रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। उन्होंने आजाद भारत को लेकर जरुर कोई सपना बूना होगा। इसे पूरा करने का काम आज की पीढ़ी को करना चाहिए। ताकि हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मंशा के अनुरुप देश का निर्माण हो सके। इसके पीछे भले ही हमारी छोटी पहल क्यू न हो होनी जरुर चाहिए। जैसे दैनिक जागरण में बुधवार के अंक में प्रकाशित संस्कारशाला में विषय स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन। इसके लिए राष्ट्रहित में कोई भी काम मन में ठान लो वहीं स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन होगा।संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि स्वाधीनता के आदर्शों को कायम रखना हमारा संवैधानिक कर्तव्य हूं। उन्होंने कहा कि जीवन में हम सभी लोगों के कुछ कर्तव्य होते हैं। बच्चों का कर्तव्य है कि वह पूरी निष्ठा से पढ़ाई लिखाई करें। वहीं घर के जिम्मेदार का कर्तव्य होता है कि वह परिवार के सभी सदस्यों के देखभाल करने के साथ ही उनकी जरूरतों की पूर्ति करे। आगे चलकर हमारे भी परिवार और समाज के प्रति कर्तव्य होते हैं और हमें उनका निर्वाह पूरी निष्ठा के साथ करना चाहिए। अच्छा करने की सीख देती है। यह भी स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन का सीख देता है। कार्यक्रम में शामिल इंद्रा घोष ने कहा कि अपने जीवन में अपने आदर्शों पर चलकर सफलता प्राप्त करना ही समान बनाता है। सत्यमेव जयते का आदर्श उनके जीवन का प्रमुख अंग रहा। बुरा मत बोलों, बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो के सिद्धांत ने उन्हें महात्मा बना दिया। अपने पवित्र जीवन में सिद्धांतों अर्थात आदर्शों का पालन करते-करते गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम में सफलता दिलाकर विजय प्राप्त कराई।स्नेह, सदभाव, समानता का भाव ही हमें कार्य में सफलता प्रदान करत है। गांधी जी के आदर्शों में स्वदेश के प्रति समर्पण हमारे लिए आज भी और आने वाले समय में भी एक अनुकरणीय, ²ढ आदर्श पालनकर्ता का उदाहरण है और रहेगा। वहीं मीनू पाठक ने बताया कि स्वाधीनता शब्द बहुत सारगर्भित है। इसकी गंभीरता को समझने के लिए हमें अपने कर्तव्य व आदर्श को ²ढ़ता से पालन करना चाहिए। आज हम स्वाधीन हैं, स्वतंत्र देश के निवासी हैं। क्योंकि हमारे शहीदों का बलिदान इस देश की मिट़्टी में समाहित हैं। उन महान वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन है। जिन्होंने अपना बलिदान देकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। इंदु प्रसाद ने कहा कि आदर्शों का पालन करके ही देश बनेगा सशक्त अत: सभी देशवासियों को इस विषय में गंभीरता से चितन करते हुए स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों को फिर से याद करते हुए एक सशक्त समाज की रचना करनी होगी, जो नैतिकता, ईमानदारी से परिपूर्ण हो और उसमें स्वार्थ का नाममात्र का स्थान न हो। तभी देश का विकास संभव हो पाएगा और हर व्यक्ति समाज में रहकर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर सकेगा।

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