रूपंचद हांसदा को कविता संग्रह 'गुड़ दा: कासा दा:Ó के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्‍कार

संताली में इस बार रूपचंद हांसदा को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। उन्हें उनके कविता संग्रह गुड़ दा कासा दाÓ (मीठा गुड़ तीता गुड़) के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। पुरस्कार पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए रूपचंद हांसदा ने कहा कि यह भाषा और संस्कृति का सम्मान है।

By Uttamnath PathakEdited By: Publish:Sat, 13 Mar 2021 12:00 AM (IST) Updated:Sat, 13 Mar 2021 12:00 AM (IST)
रूपंचद हांसदा को कविता संग्रह 'गुड़ दा: कासा दा:Ó के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्‍कार
संताली कवि रूपचंद हांसदा । फाइल फोटो।

रूपंचद हांसदा को कविता संग्रह 'गुड़ दा: कासा दा:Ó के लिए मिला साहित्य अकादमी

जागरण संवाददाता, रांची : संताली में इस बार रूपचंद हांसदा को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। उन्हें उनके कविता संग्रह 'गुड़ दा: कासा दा:Ó (मीठा गुड़ तीता गुड़) के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। पुरस्कार पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए रूपचंद हांसदा ने कहा कि यह भाषा और संस्कृति का सम्मान है। मूलत: पुरुलिया के रहने वाले हांसदा की शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई और वे दक्षिण पूर्व रेलवे के खडग़पुर मंडल में सीनियर इंस्पेक्टर (एकाउंट) पद पर कार्यरत हैं। सेवानिवृत्ति में एक साल और बचा है।

अपने लेखन के बारे में रूपचंद हांसदा कहते हैं कि स्नातक तक आते-आते संताली भाषा में बतौर लेखक एक पहचान मिल गई थी। अब तक करीब 21 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें अनुवाद, व्याकरण, कहानी, कविता संग्रह, शब्दकोश और पाठ्य सामग्री भी शामिल है। रूपचंद हांसदा कहते हैं पहले बांग्ला लिपि में ही लिखते थे, लेकिन 1988 केबाद से ओलचिकी में रचनाएं छपने लगीं। यह काफी बेहतर रहा।

हांसदा 26 सालों तक आल इंडिया संताली राइटर्स  एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे और देश भर में इसका आयोजन कर संताली लेखकों को जोडऩे और भाषा को बढ़ाने का उपक्रम करते रहे। साहित्यिक-सांस्कृतिक परिवेश में पले-बढ़े हांसदा के बड़े भाई महादेव हांसदा भी पुरुलिया से तेतरे नामक पत्रिका का प्रकाशन भी  करते हैं। कई अंकों का संपादन खुद रूपचंद ने भी किया। रूपचंद को 2018 में अनुवाद के लिए भी साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं।  

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