Rupa Tirkey Suicide Case: रूपा तिर्की का मर्डर हुआ है... DSP की पिता ने की बोलती बंद, हंगामा

Rupa Tirkey Suicide Case आदिवासी समाज से आने वाली साबिहगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की आत्‍महत्‍या नहीं हत्‍या की गई है। साहिबगंज के डीएसपी जब रांची में रूपा तिर्की के घर पहुंचे तो इस तरह के कई सवाल दागकर रूपा के पिता ने उनकी बोलती बंद कर दी।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 06:36 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 08:36 AM (IST)
Rupa Tirkey Suicide Case: रूपा तिर्की का मर्डर हुआ है... DSP की पिता ने की बोलती बंद, हंगामा
Rupa Tirkey Suicide Case: रूपा तिर्की का सुसाइड नहीं मर्डर है... पिता के सवाल पर DSP की बोलती बंद, हंगामा

रांची/रातू, जेएनएन। Rupa Tirkey Suicide Case साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत का मामला लगातार तूल पकड़ रहा। हर दिन परिजनों और ग्रामीणों का आक्रोश सामने आ रहा है। सोमवार को साहिबगंज के बड़हरवा डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा रातू टेंडर बगीचा स्थित रूपा तिर्की के आवास पहुंचे तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। साहिबगंज पुलिस को देखते ही बड़ी संख्या में रूपा के परिजन और ग्रामीण जुट गए और हंगामा शुरू कर दी। लोगों ने साहिबगंज पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और साहिबगंज पुलिस वापस जाओ के नारे लगाए।

लोगों ने एक स्वर में कहा हमें केवल सीबीआई जांच चाहिए जिला पुलिस पर भरोसा नहीं। डीएसपी रूपा के परिजनो से मिलकर डीएसपी ने अपने आने का कारण और जांच में मदद करने की बात कर ही रहे थे कि विरोध शुरू हो गया। डीएसपी प्रमोद मिश्रा ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि रूपा तिर्की को हर हाल में इंसाफ मिलेगा।डीएसपी की बात सुन परिजन भड़क गए और विरोध करने लगे। ग्रामीणों ने उनसे कुछ सवाल पूछे। परिजनो और ग्रामीणो के सवाल पर डीएसपी मिश्रा की बोलती बंद हो गई। 

जांच भटकाने का आरोप, कहा हत्या को दिया जा रहा आत्महत्या का रूप 

परिजनो ने डीएसपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जांच को भटकाया जा रहा है। हत्या को आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है। साहिबगंज की पुलिस द्वारा घटना को किसी और दिशा में ले जा रही है। रूपा तिर्की के पिता देवानंद उरांव ने कहा कि एसआईटी जांच सिर्फ धोखा है। हमें सिर्फ सीबीआई जांच ही चाहिए। जब तक झारखंड सरकार सीबीआई जांच की अनुशंसा नहीं कर देती है तब तक हम सभी परिजनो के अलावे आदिवासी समाज के लोग चुपचाप नहीं बैठेंगे। हमें इंसाफ चाहिए। देवानंद उरांव ने कहा कि वे सेना के जवान हैं उन्हें हत्या और आत्महत्या में क्या फर्क है अच्छी तरह पता है। मेरी बेटी के शरीर में चोट के कई निशान थे, जिसे हमलोगों ने देखा। गले में दो जगह गहरी चोट के निशान थे। इससे साफ पता लग रहा था कि यह मर्डर ही था। 

इस सवाल पर चुप रह गए डीएसपी 

देवानंद उरांव ने डीएसपी से सिर्फ एक सवाल पूछा कि सबसे पहले आप यह बताइए शव को सबसे पहले किसने देखा और उतारा। इसके अलावा पूछा कि क्या रूपा के शरीर पर लगी चोट की आपको जानकारी है। पिता के प्रश्नो का डीएसपी साहब के पास कोई जवाब नहीं था। ग्रामीणों और वहां मौजूद पत्रकारों ने डाहू यादव के बारे में भी सवाल किया। इसका भी डीएसपी कोई जवाब नहीं दे पाए। सवाल जवाब शुरू ही हुआ था और भीड़ लगातार बढ़ रही थी। भीड़ को जमा होते देख डीएसपी साहब वापस लौटने में ही अपनी भलाई समझी। डीएसपी ने पत्रकारों के लाख पूछने के बावजूद उनके सवालो का कोई जवाब नही दिया। डीएसपी ने कहा कि मैं अपनी रिपोर्ट सिर्फ अपने वरीय अधिकारियों को ही दूंगा। 

पिता बोले बेटी को सेवा के लिए भेजा, जिसकी सुरक्षा नहीं कर पाए 

रूपा के पिता ने डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा से कहा कि मैंने भी बतौर फौजी देश की सेवा में अपना जीवन लगा दिया। बेटी को भी सेवा के लिए भेजा, लेकिन आपके विभाग ने उसकी सुरक्षा नहीं की। बेटी की मौत पर दोषियों को सजा दिलाने के बजाए हत्या को आत्महत्या बनाने में लगे हैं। बेटी की मौत की सूचना के बाद जब परिवार के लोग साहिबगंज पहुंचे, उसी समय से पुलिस अधिकारी मौत को आत्महत्या बताने में लगे हैं। परिवार को पोस्टमार्टम की जानकारी नहीं दी गई। जिस बेटी को राज्य की सेवा के लिए भेजा था, उसका शव पहुंचाने कोई पुलिस अधिकारी तक नहीं आए। मौत हुए एक सप्ताह बीत गया है, लेकिन हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दी गई। जब भी रिपोर्ट की मांग करते हैं कि तब पुलिस वाले आवेदन देने को कहते हैं। हर बात में टालमटोल किया जा रहा है। 

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