RSS स्वयंसेवकों ने किसानों की मदद की, 1006 टन तरबूज खरीदकर बेचा-बांटा
RSS News Jharkhand News Hindi News राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसानों के साथ खड़ा है। स्वयं सेवकों ने किसानों से तरबू खरीदकर उनकी आर्थिक स्थिति में मदद की। इसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने भी मदद की।
रांची, [संजय कुमार]। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों ने जरूरतमंद परिवारों के बीच सेवा का देशव्यापी अभियान चलाया। इसके तहत स्वयंसेवकों ने जहां घर-घर सूखा राशन पहुंचाया, वहीं हजारों शिविर लगाकर भोजन का प्रबंध किया। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए दवा से लेकर आक्सीजन सिलेंडर तक की व्यवस्था की। इस बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर रोक लगाने के लिए सरकार ने जब लाॅकडाउन को प्रभावी बनाया और वाहनों के अंतरराज्यीय ही नहीं अंतर्जिला परिचालन की भी मनाही हो गई तो किसानों के समक्ष सैकड़ों एकड़ खेत में लगी फसलों को बेचने की समस्या उत्पन्न हो आई।
मुनाफा की बात तो दूर, लागत मूल्य तक निकालना मुश्किल हो गया। ऐसे में आरएसएस की झारखंड इकाई ने बीच का रास्ता निकाला। उसने किसानों से उसकी फसल खरीद ली। इसका एक हिस्सा जहां मलिन बस्तियों के लोगों के बीच बांटने का काम किया, वहीं महज परिवहन शुल्क निकालकर उसे उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया। आरएसएस की इस पहल से किसानों को फायदा तो हुआ ही, उपभोक्ताओं को भी अपेक्षाकृत कम कीमत पर ही सामग्री मिल गई।
हजारीबाग से शुरू हुई पहल
किसानों से तरबूज की खरीदने की यह पहल सबसे पहले हजारीबाग के आरएसएस के विभाग प्रचारक कुणाल कुमार ने शुरू की। उन्होंने हजारीबाग के चूरचू गांव से छह टन तरबूज की खरीदारी की। हजारीबाग के ओपनी, गाड़ीखाना, पतरातू व कदमा बस्ती में इसका वितरण भी हुआ। इसके बाद दूसरे जिलों में भी इस अभियान को चलाया गया। इस बीच अभाविप की ओर से पूरे झारखंड में संचालित 'अपनों के लिए पहल' अभियान के तहत रांची विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपसचिव सौरभ कुमार साहू ने खूंटी जिले के किसानों से 1000 टन तरबूज की खरीदारी कर इसे स्थानीय बाजार से लेकर बिहार और ओडिशा तक पहुंचाया।
1500 गाड़ी आम की हो चुकी है खरीदारी
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के कार्यकर्ता अब किसानों से आम खरीदकर उनकी आर्थिक स्थिति को समृद्ध कर रहे हैं। राज्य के विभिन्न जिलों से अबतक 1500 गाड़ी (प्रति गाड़ी 2500 किलो) आम की खरीदारी कर उसे बाहर के प्रदेशों में भेजा जा चुका है। आम खरीदने का सिलसिला अभी भी जारी है। अभाविप की इस पहल से किसानों को घर बैठे ही उनके उत्पाद की उचित कीमत मिल जा रही है।