देश की अखंडता व वनवासियों के लिए आज भी प्रासंगिक है बिरसा मुंडा का बलिदान : गोपाल शर्मा

Jharkhand News आरएसएस के गोपाल शर्मा ने कहा कि अंग्रेजों के विरुद्ध उलगुलान पारंपरिक भू व्यवस्था को जमींदारी व्यवस्था में बदलने का काम किया। भगवान बिरसा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया के तहत सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 05:49 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 05:56 PM (IST)
देश की अखंडता व वनवासियों के लिए आज भी प्रासंगिक है बिरसा मुंडा का बलिदान : गोपाल शर्मा
Jharkhand News भगवान बिरसा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया के तहत सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया।

रांची, जासं। भगवान बिरसा मुंडा के 121वें बलिदान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्य विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस झारखंड प्रांत के महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्य प्रमुख गोपाल शर्मा ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा युवाओं के प्रेरणा पुंज हैं। उनसे आज के युवाओं को प्रेरणा लेने की जरूरत है। उनका बलिदान देश की अखंडता एवं वनवासियों के लिए आज भी प्रासंगिक है।

भगवान बिरसा मुंडा चाहते तो अपना जीवन धर्मांतरित कर सुख चैन से बीता सकते थे। पंरतु उन्होंने संघर्ष का जीवन चुना। वे अंग्रेजों के बीच पले बढ़े। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मिशनरियों के बीच में हुई। फिर भी उन्होंने राष्ट्रभक्ति का जज्बा अपने अंदर जगाए रखा। इस कार्यक्रम में पूरे राज्य से लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध उलगुलान पारंपरिक भू व्यवस्था को जमींदारी व्यवस्था में बदलने का काम किया।

भगवान बिरसा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया के तहत सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने नैतिक आचरण की शुद्धता, आत्मसुधार और एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के अस्तित्व को अस्वीकारते हुए अपने अनुयायियों को सरकार को लगान न देने का आग्रह किया था। 1894 में अकाल के दौरान भगवान बिरसा ने वनवासि‍यों के लगान माफी के लिए आंदोलन चलाया। उन्होंने नारा दिया "अबुआ राज सतेरे जना, महारानी राज तुण्डु जना"।

उलगुलान के पुरोधा हैं बिरसा मुंडा : पाहन

बतौर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन ने कहा कि‍ भगवान बिरसा मुंडा उलगुलान के पुरोधा हैं। विपरीत परिस्थिति में भी अपना स्वाभिमान, धर्म, राष्ट्रीयता से उन्होंने समझौता नहीं किया। अंग्रेजों एवं मिशनरियों की साजिश का पर्दाफाश किया। आज हमें उनके पदचिन्हों पर चलने की आवश्यकता है। जनजागरण के माध्यम से उनके सपनों को साकार करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। कार्यक्रम में रांची महानगर घोष प्रमुख सूरज पांडेय, रांची विभाग कार्यवाह संजीत कुमार, मंच संचालन रांची विभाग, डाॅक्टर ओम प्रकाश, सत्यम् कुमार, सह प्रांत प्रचार प्रमुख संजय कुमार आजाद, विभाग संघचालक विवेक भसीन, विभाग प्रचार प्रमुख डॉ. शिवेंद्र प्रसाद व रांची विभाग प्रचारक व्यापक कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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