RPF को गश्त के दौरान DRM आफिस के पार्किंग एरिया में मिला लैपटाप व बैग, जानिए फिर क्या हुआ

Jharkhand News आरपीएफ को हटिया में डीआरएम ऑफिस के पार्किंग एरिया में एक बैग मिला था। इस बैग में लैपटॉप चार्जर चेक बुक दो डायरी और अन्य कीमती चीजें थीं। आरपीएफ ने इस बैग के मालिक का पता लगाया।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 02:04 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 02:04 PM (IST)
RPF को गश्त के दौरान DRM आफिस के पार्किंग एरिया में मिला लैपटाप व बैग, जानिए फिर क्या हुआ
RPF को गश्त के दौरान DRM आफिस के पार्किंग एरिया में मिला लैपटाप व बैग। जागरण

रांची, जासं। आरपीएफ को हटिया में डीआरएम ऑफिस के पार्किंग एरिया में एक बैग मिला था। इस बैग में लैपटॉप, चार्जर, चेक बुक, दो डायरी और अन्य कीमती चीजें थीं। आरपीएफ ने इस बैग के मालिक का पता लगाया और बैग को धुर्वा के एचईसी कॉलोनी के रहने वाले इसके मालिक प्रमोद प्रसाद को सौंप दिया है। आरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि बैंक में मिली डायरी में प्रमोद प्रसाद का नाम, पता और फोन नंबर था। इसके बाद आरपीएफ कर्मियों ने उस नंबर पर फोन किया और पता किया। तो प्रमोद प्रसाद ने बताया कि उनका बैग गुम हो गया है। इसके बाद प्रमोद प्रसाद थोड़ी देर बाद आरपीएफ के हटिया स्थित पोस्ट पहुंचे और वहां से अपना बैग वापस प्राप्त किया। गौरतलब है कि आरपीएफ इन दिनों अच्छा काम कर रही है।

जिन यात्रियों का बैग रेलवे स्टेशन, ट्रेन या प्लेटफार्म पर छूट जाता है। उसका पता लगाकर आरपीएफ उनके मालिक तक पहुंचा देती है। यही नहीं, जो लोग आकर अपना सामान गायब होने की शिकायत आरपीएफ में दर्ज कराते हैं। उनका सामान का भी पता लगाकर उन तक पहुंचाया जाता है। यही नहीं आरपीएफ रेलवे स्टेशन पर कड़ी निगाह रखती है। रेलवे की मेरी सहेली टीम स्टेशन पर अकेले पहुंची महिला पर निगाह रखती है और उससे पूछताछ करती है। ट्रेन पर सफर करने वाली महिला का मोबाइल नंबर भी टीम के सदस्य लेते हैं और जब तक महिला अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच जाती बराबर उसके संपर्क में रहते हैं।

इसका उद्देश्य है कि महिला यात्री को सुरक्षित उसके घर तक पहुंचाना। अगर रास्ते में कहीं महिला यात्री को कोई परेशानी आती है तो आरपीएफ उसकी मदद करती है। आरपीएफ की नन्हें फरिश्ते टीम रेलवे स्टेशनों पर किशोर और किशोरियों पर भी निगाह रखती है। अगर अकेले किशोर और किशोरी मिलते हैं, तो उन्हें पकड़कर उनके अभिभावकों को सौंपा जाता है। रांची रेलवे स्टेशन से तस्करी कर ले जाए जा रहे है किशोर और किशोरियों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाकर आरपीएफ ने उनके घर तक पहुंचाया है।

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