रिम्स में निजी अस्पतालों की तरह तैयार होगा मरीजाें का डाटा बेस, एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी
झारखंड के लोगों के लिए अच्छी खबर है। राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान में मरीजों के इलाज की व्यवस्था को पूरी तरह हाइटेक बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके तहत मरीजों की सारी जानकारी अब आनलाइन उपलब्ध होगी।
रांची, अनुज तिवारी। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स को हाई टेक बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। मरीजों का अब डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जाएगा। यह मरीजों के इलाज के साथ-साथ चिकित्सकों के शोध कार्य में मददगार साबित होगा। अस्पताल के हर विभाग को इससे जोड़ा जाएगा।रिम्स में हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम के तहत यह पहल की जा रही है। निजी अस्पतालों की तरह मरीजों के इलाज से संबंधित पूरा ब्यौरा एक क्लिक पर उपलब्ध होगा। इसके अलावा अस्पताल के विभिन्न वार्ड में दवा की स्थिति पर भी नजर रखी जा सकेगी।
निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि ई-सिस्टम लागू करने को लेकर कई वर्षों से योजना चल रही थी। कोविड की वजह से इसमें देर हुई। अब इस नई व्यवस्था के तहत अस्पताल के सभी विभागों को हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इस नई व्यवस्था की शुरुआत हो जाएगी।
पहले से सुपर स्पेशलिटी विंग में है ई-सिस्टम : रिम्स में कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, पिडियाट्रिक्स सर्जरी और आन्कोलॉजी विभाग पहले से ही इस सिस्टम से जुड़े हुए हैं। उपाधीक्षक लेफ्टिनेंट कर्नल डा शैलेश त्रिपाठी बताते हैं कि अभी सुपर स्पेशलिटी विंग में ई-सिस्टम लागू होने से वहां की सारी जानकारी संबंधित डाक्टरों के पास मौजूद रहती है। चिकित्सक संबंधित विभाग में भर्ती किसी भी मरीजों के बारे में जानकारी लेना चाहें तो उन्हें उस मरीज की पूरी स्थिति की जानकारी तत्काल मिल जा रही है। सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर एनआईसी उपलब्ध करा सकता है।
शुरू हो गई है टेंडर की प्रक्रिया : नई प्रणाली को सभी विभागों में लागू करने के लिए फिलहाल टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसमें आईटी संबंधी कंप्यूटर व अन्य सामग्रियों की खरीदारी होगी। इस कार्य को पूरा करने में अभी कितना वक्त लगेगा।इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। लेकिन प्रबंधन ने उम्मीद जताया है कि इस पूरे कार्य को इस वर्ष तक पूरा कर लिया जाएगा।
इस तरह से मरीजों को मिलेगा लाभ
अस्पताल में ई-सिस्टम लागू हो जाने के बाद मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। रिम्स में सबसे बड़ी समस्या दवा को लेकर है। यहां भर्ती मरीजों को सभी दवाएं नहीं मिलती है। जिस कारण मरीजों के परिजनों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है। ई-सिस्टम लागू हाेने के बाद इस तरह की समस्या से निजात मिल सकेगी। जिस वार्ड में दवा की कमी होगी। वहां से इसकी जानकारी सेंट्रल टीम को आनलाइन दी जाएगी। जिसके बाद इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ देर में ही दवा की आपूर्ति वहां की जा सकेगी। उपाधीक्षक त्रिपाठी ने बताया कि एक जगह पर मॉनिटरिंग होने से दवा की किल्लत जैसी समस्या का निदान होगा। साथ ही डाक्टरों से भी उन सभी दवाओं की सूची मांगी गई है जिन्हें वे मरीजों को देते हैं ताकि उसकी खरीदारी भी पहले की जा सके।
दोबारा जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी
मरीज को रजिस्ट्रेशन कराने के बाद अलग-अलग विभाग में अपनी बीमारी के बारे में दोबारा जानकारी देने की आवश्यकता नहीं होगी। दूसरे विभाग में शिफ्ट होने की बाद भी डाक्टर सिस्टम पर मरीज की डिटेल और उन्हें दी जा रहीं दवाओं के बारे में जान सकेंगे। इस सिस्टम के तहत रिम्स के सभी विभागों में कंप्यूटर होंगे। जो साफ्टवेयर की सहायता से आपस में कनेक्ट रहेंगे। मरीजों को एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा। सिस्टम में उसकी सभी जानकारी नंबर के साथ डाली जाएगी। मरीज के रजिस्ट्रेशन नंबर से डाक्टर उसके बारे में सबकुछ जान सकेंगे। सिस्टम के कारण मरीज के रजिस्ट्रेशन नंबर से परिजन आसानी से उसे ढूंढ़ सकेंगे।
सभी ओपीडी और ब्लड बैंक की सूची होगी हाथो में
ओपीडी में मरीजों की भीड़ की जानकारी, किस ओपीडी में कौन से डाक्टर होंगे इसकी जानकारी भी आनलाइन मिल सकेगी। इसके अलावा ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता की जानकारी डाक्टरों को बैठे-बैठे मिल सकेगी। उपलब्धता के अनुसार ही डाक्टर मरीजों के ऑपरेशन की तिथि तय करेंगे।
आंकड़ों में रिम्स :
सभी विंग में कुल बेड की संख्या - 2200
भर्ती मरीजों की संख्या - 3000
पेईंग वार्ड में बेड - 100
सबसे अधिक मरीज - मेडिसिन और न्यूरो