रिम्‍स में 33 वर्ष सेवा देने के बाद डा. अजित कुमार चौधरी सेवानिवृत्त, भव्‍य विदाई समारोह आयोजित

रिम्‍स के सबसे लोकप्रिय चिकित्‍सकों में शामिल रहे डा अजीत कुमार चौधरी लंबी सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो गए। इस अवसर पर भव्‍य विदाई समारोह आयोजित किया गया। इसमें साथ काम करने वाले चिकित्‍सकों के अलावा छात्रों ने उन्‍हें सम्‍मानित किया।

By Brajesh MishraEdited By: Publish:Wed, 01 Sep 2021 09:35 PM (IST) Updated:Wed, 01 Sep 2021 09:35 PM (IST)
रिम्‍स में 33 वर्ष सेवा देने के बाद डा. अजित कुमार चौधरी सेवानिवृत्त, भव्‍य विदाई समारोह आयोजित
रिम्‍स के प्राध्यापक डा. अजित कुमार चौधरी को सेवानिवृत्त हो गए।

रांची,जासं। रिम्स के फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग में 33 वर्ष की सेवा देने के बाद प्राध्यापक डा. अजित कुमार चौधरी को सेवानिवृत्त हो गए। उनके रिटायरमेंट पर बुधवार को एफएमटी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. चंद्रशेखर प्रसाद व उनकी पूरी टीम ने एक समारोह आयोजित कर उन्हें विदाई दी। एफएमटी विभाग में बेहद शांत, मिलनसार तथा अपने काम के प्रति बेहद गंभीर रहे प्राध्यापक डा. अजित कुमार चौधरी की छवि तेज-तर्रार व सबको लेकर चलने वाले चिकित्‍सक की रही है। 33 वर्ष के सफर में उन्होंने सैकड़ों छात्रों का भविष्य संवारा। विदाई पर पहुंचे उनके कुछ विद्यार्थियों व सहयोगियों ने साथ गुजारे हुए पल को याद किया। सेवानिवृत्ति के बाद के सफर के लिए शुभकामनाएं दी। लोगों ने उनकी कार्यप्रणाली की प्रशंसा की।

कहा कि बतौर चिकित्‍सक पूरी टीम को उनसे बहुत कुछ जानने को मिला। लोगों ने उनके व्‍यक्तित्‍व की विशेष रूप से सराहना की। विदाई समारोह में मुख्य रूप से एफएमटी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा. चंद्रशेखर प्रसाद, सह प्राध्यापक डा. संजय कुमार, सहायक प्राध्यापक डा. सावन मुंदरी, हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डा. अजय भेंगरा, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज धनबाद के सहायक प्राध्यापक डा. कुमार शिवेंदु, चिकित्सा पदाधिकारी डा. मनोज कुमार कोड़ा व डा. ज्योति आशा चंपी, डा. आनंद कुमार, डा. शुभाषनी सिन्हा, डा. एन. अशोक, डा. अभिनव कुमार, डा. किशोर रविचंद्रन, डा. अजय कुमार भगत, डा. संजीत कुमार व विभाग के सभी कर्मी मौजूद थे।

स्वास्थ्य निदेशालय बिहार सरकार में दिया पहला योगदान : प्राध्यापक डा. एके चौधरी ने आठ अप्रैल 1983 को सबसे पहले स्वास्थ्य निदेशालय बिहार सरकार में अपना पहला योगदान दिया था। इसके बाद वे चार साल तक देवघर में चिकित्सा पदाधिकारी भी रहे। देवघर के बाद रिम्स के एफएमटी विभाग में योगदान दिए और तब से अब तक हजारों पोस्टमार्टम किया, जिसमें कई बड़े मामले भी शामिल थे।

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