रिम्स में उच्च स्तरीय पदों पर नियुक्ति के लिए आरक्षण रोस्टर की अनिवार्यता नहीं
रिम्स में अब चिकित्सा शिक्षकों के उच्च स्तरीय पदों पर नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन करना अनिवार्य नहीं होगा।
जागरण संवाददाता, रांची : रिम्स में अब चिकित्सा शिक्षकों के उच्च स्तरीय पदों पर नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन करना अनिवार्य नहीं होगा। 28 जनवरी को रिम्स गवर्निंग बॉडी की आयोजित बैठक में इस बाबत लिए गए निर्णय की प्रोसिडिग रिम्स प्रबंधन को प्राप्त होने के बाद इसे लागू कर दिया गया है। लेकिन, जीबी के इस निर्णय को आरक्षण विरोधी करार देते हुए ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध किया है। एसोसिएशन की ओर से इस बाबत एक पत्र मुख्यमंत्री को दिया गया है। ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन झारखंड के सभी मेडिकल/ डेंटल कॉलेज से शैक्षणिक पदों से आरक्षण समाप्त करने संबंधित स्वास्थ्य विभाग के संकल्प को समाप्त करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि ऐसा न हुआ तो मजबूरन आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा।
एसोसिएशन के सचिव डा. निशिथ एक्का की ओर से मुख्यमंत्री को दिए पत्र में कहा गया है कि पूर्व की सरकार द्वारा चिकित्सा शिक्षकों की कमी का हवाला देकर 7 नवंबर 2015 को एक संकल्प जारी किया था। इसमें कहा गया है कि राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों में शैक्षिक संवर्ग की नियुक्ति प्रोन्नति में आरक्षण नियमावली लागू नहीं होगी। रिम्स गवर्निंग बॉडी ने भी उसे अपना लिया है। एम्स, आइआइटी, आइआइएम, पीजीआइ सरीखे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण नियमावली का पालन होता है। एसोसिएशन ने कहा है कि आरक्षित वर्ग की अनुपलब्ध्ता की स्थिति में अन्य वर्ग के अभ्यर्थी की नियुक्ति संविदा पर तब तक के लिए की जा सकती है, जब तक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी उपलब्ध न हो जाएं, जिनके लिए वह पद आरक्षित था।
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रिम्स जूनियर डाक्टरों का अबतक नही मिला सातवें वेतनमान का एरियर
रांची : रिम्स के जूनियर डाक्टरों को सातवें वेतनमान का बकाया एरियर का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। जहां दूसरे राज्यों में कोरोना में कार्य कर रहे चिकित्सकों को अतिरिक्त वेतन दिया गया, वहीं झारखंड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कार्य कर रहे रेजिडेंट चिकित्सकों को सातवें वेतन के बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जो इनका हक है। सरकार के इस रवैये से रिम्स के रेजिडेंट डॉक्टर दुखी हैं। चिकित्सकों ने बताया कि केंद्र में जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान लागू है और झारखंड में जनवरी 2018 से, इस बीच जनवरी 2016 से मार्च 2019 तक का भुगतान बाकी है। लेकिन अबतक इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई।