बड़ी कार्रवाई : रिपोर्ट आने के बाद रांची में बालाश्रय संचालित कर रही संस्था का निबंधन रद

रांची के हेहल स्थित बाल आश्रय गृह का संचालनकर्ता झारखंड महिला सामख्या नामक स्वयं सेवी संस्था का निबंधन रद कर दिया गया है। आश्रय गृह में रह रहे 20 बच्चों को राजधानी के किसी दूसरे आश्रय गृह में स्थानांतरित किया जायेगा।

By Sanjay Kumar SinhaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 10:59 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 10:59 PM (IST)
बड़ी कार्रवाई : रिपोर्ट आने के बाद रांची में बालाश्रय संचालित कर रही संस्था का निबंधन रद
रांची के हेहल स्थित बाल आश्रय गृह जिसके संचालक पर कार्रवाई की गई है।

रांची(जासं ): रांची के हेहल स्थित बाल आश्रय गृह का संचालनकर्ता झारखंड महिला सामख्या नामक स्वयं सेवी संस्था का निबंधन रद कर दिया गया है। आश्रय गृह में रह रहे 20 बच्चों को राजधानी के किसी दूसरे आश्रय गृह में स्थानांतरित किया जायेगा। साथ ही, आश्रय गृह के संचालनकर्ता को आश्रय गृह से दूर रहने का निर्देश दिया गया है। नौ अक्टूबर को बाल आश्रय गृह में 12 वर्षीय बच्चे से अप्राकृतिक यौनाचार का मामला सामने आने के बाद महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इसको लेकर निर्देश जारी किया है। जारी आदेश के अनुसार स्वयं सेवी संस्था झारखंड महिला सामख्य को तत्काल प्रभाव से आश्रय गृह का देखरेख बंद करने को कहा है। जब तक बच्चों को अन्य आश्रय गृह में स्थानांतरित नहीं किया जाता है इसकी देखरेख सीडब्ल्यूसी करेगी।

बता दें कि नौ अक्टूबर को पंडरा ओपी में प्राथमिकी दर्ज करने के दूसरे दिन 10 अक्टूबर को महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के निदेशक सह सदस्य सचिव ने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया था। इसके अलावा जिला प्रशासन ने भी अलग से जांच कराई। दोनों ही जांच में बाल आश्रय गृह के संचालनकर्ता को बच्चों के देखरेख में अक्षम पाया गया। साथ ही, जिला बाल संरक्षण अधिकारी और सीडब्ल्यूसी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं।

2016 में महिला सामख्या का हुआ था निबंधन : बालाश्रय गृह का देखभाल करने वाली संस्था झारखंड महिला सामख्या का निबंधन 2016 में हुआ था। तब से यह संस्था बाल आश्रय गृह का संचालन करता था। विभाग ने वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट को लेकर कई बार संचालक को रिमाइंडर भेजा गया लेकिन बाल आश्रय गृह की अधीक्षिका ने विभागीय पत्र का कोई जवाब नहीं दिया।

पीड़ित बच्चे-बच्चियों के बयान लेने के समय गोपनीयता का नहीं रखा जाता ख्याल

नाबालिग बच्चे-बच्चियों से दुष्कर्म एवं अन्य हिंसा मामले में सीडब्ल्यूसी पीड़ित का बयान दर्ज करती है। नियम के मुताबिक बयान लेने के समय पूरी गोपनीयता बरती जानी है लेकिन रांची सीडब्ल्यूसी इकलौता ऐसा कार्यालय है जहां पीड़ित बच्चे-बच्चियों का बयान अन्य कर्मियों के बीच लिया जाता है। इस कारण पीड़ित सहजता से अपनी बात नहीं रख पाते हैं। गुरुवार को बयान दर्ज कराने आयी पीड़ित बच्ची के पिता ने बताया कि इस प्रकार खुले में बातचीत से बच्ची खुद को असहज महसूस कर रही थी। खुल कर अपनी बात नहीं बात सीडब्लूसी के समक्ष नहीं रख पायी। जिस समय में महिला कर्मी बयान ले रही थी आसपास कई पुरुष कर्मी मौजूद थे।

क्या कहते हैं सीडब्ल्यूसी के सदस्य

बयान दर्ज करने के लिए गोपनीयता होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए कोई कमरा नहीं है। जितनी जगह सीडब्ल्यूसी को मिली है उसी में सारा कार्य निपटाये जाते हैं। बयान लेने के दौरान गोपनीयता बरतने का प्रयास किया जाता है। आगे और ध्यान रखा जायेगा।

बैद्यनाथ कुमार, सदस्य सीडब्ल्यूसी

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