दलमा के जंगल में दुर्लभ जड़ी-बूटियों का भंडार, कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने में है कारगर
Dalma Forest Jamshedpur News Jharkhand Samachar झारखंड के जमशेदपुर में स्थित दलमा जंगल वन्य प्राणियों का आश्रय स्थल है। लेकिन यहां कई महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियां भी मिलती हैं। यह कई बीमारियों में कारगर है। यहां पाए जाने वाले पौधे औषधीय गुण वाले हाेते हैं।
जमशेदपुर, जासं। Dalma Forest, Jamshedpur News, Jharkhand Samachar दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी झारखंड के जमशेदपुर में स्थित है। वैसे तो यह हाथियों का अभ्यारण्य है, लेकिन यहां न सिर्फ कई प्रकार के जानवर पाए जाते हैं, बल्कि यहां कई ऐसे औषधीय गुण वाले पौधे भी हैं जो कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने में काम आते हैं। दलमा रेंज के डीएफओ डॉ. अभिषेक कुमार की मानें तो यहां अर्जुन, काला शीशम, कालमेघ, अमलताश, बीजासाल, इमली, गुलर, पीपल, बरगद, चिरायता, आंवला, हर्रे, बहेरा जैसे लुप्त प्राय पौधे पाए जाते हैं।
आज हम आपको बताते हैं, दलमा में पाए जाने वाले जड़ी-बूटियों के क्या फायदे हैं।
काला शीशम- आमतौर पर शीशम का पेड़ फर्नीचर बनाने के काम में आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पेट दर्द, मोटापा, अपच की रामबाण दवा है। अगर पेशाब करने में परेशानी हो या फिर रुक-रुक कर पेशाब आता हो तो शीशम के पत्ते का काढ़ा पीना चाहिए। अगर हैजा हो गया हो तो शीशम की गोलियां खाने से फायदा होता है। यही नहीं, आंख दर्द होने पर शहद के साथ शीशम के पत्ते का रस मिलाकर डालने पर काफी आराम होता है। हर तरह के बुखार, जोड़ों का दर्द, रक्त विकार, गठिया, पेचिश, घाव के अलावा कुष्ठ जैसी बीमारी में शीशम अचूक दवा है।
कालमेघ- कालमेघ, जैसा नाम वैसा काम। कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने की यह अचूक दवा है। बुखार, पेट में गैस, कीड़े, कब्ज के अलावा आंत की समस्या में कालमेघ का उपयोग किया जाता है। इसका प्रयोग सूजन कम करने में, जलन के साथ-साथ लीवर की सुरक्षा करने में किया जाता है।
अर्जुन- दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में अर्जुन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसे वेद पुराणों में भी औषधीय पेड़ कहा गया है। इसका उपयोग हृदय रोग, पेट की गैस, पेचिस, डायबिटीज कंट्रोल, हड्डी को जोड़ने में अर्जुन छाल का उपयोग किया जाता है।
गुलर- गुलर के पेड़ में फूल नहीं होते हैं, लेकिन इसमें विटामिन बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन बी लाल रक्त कण बनाने में मदद करता है। कोरोना काल में इसका उपयोग करने से एंटीबॉडीज भी बनता है। अनिद्रा के लिए यह रामबाण है। पित्त की बीमारी में गुलर की पत्तियों को शहद के साथ पीसकर खाने से राहत मिलती है।
इमली- इमली के बीज में ट्रिपसिन इनहिबिटर होता है, जो प्रोटीन को बढ़ाने के साथ-साथ नियंत्रित भी करता है।यह हृदय रोग, हाई ब्लड शुगर, हाई काेलेस्ट्राॅल और मोटापा संबंधी बीमारियों में कारगर साबित होता है।