Jharkhand: रांची विवि के छात्रों का आरोप, रिसर्च के नाम पर शिक्षक ने मांगे पैसे; ACB से शिकायत

रांची विवि में छात्रों ने एक बार फिर शिक्षक पर रिसर्च के नाम पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है। इस बार मामला पीजी कॉमर्स विभाग का है। छात्रों ने पूर्व विभागाध्यक्ष डा. जीपी त्रिवेदी पर रिसर्च के नाम पर पैसा मांगने का आरोप लगाया है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 02:21 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 02:21 PM (IST)
Jharkhand: रांची विवि के छात्रों का आरोप, रिसर्च के नाम पर शिक्षक ने मांगे पैसे; ACB से शिकायत
Jharkhand: रांची विवि के छात्रों का आरोप, रिसर्च के नाम पर शिक्षक ने मांगे पैसे। जागरण

रांची, जासं । रांची विवि में छात्रों ने एक बार फिर शिक्षक पर रिसर्च के नाम पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है। इस बार मामला पीजी कॉमर्स विभाग का है। छात्रों ने पूर्व विभागाध्यक्ष डा. जीपी त्रिवेदी पर रिसर्च के नाम पर पैसा मांगने का आरोप लगाया है। अभ्यर्थियों ने इसकी लिखित शिकायत एसीबी, रांची विवि व उच्च शिक्षा विभाग से किया है। कहा है कि पूर्व विभागाध्यक्ष रजिस्ट्रेशन से पहले 20 से 30 हजार रुपये मांगे। इधर, उच्च शिक्षा विभाग ने रांची विवि प्रशासन को पत्र भेजकर मामले की जांच कराकर इसकी रिपोर्ट विभाग को देने को कहा है। उच्च शिक्षा विभाग से पत्र मिलते ही आरयू प्रशासन ने कार्यवाही शुरू कर दी है। विवि प्रशासन ने कहा कि पहले शोकॉज कर जवाब मांगा जाएगा, इसके बाद जांच कमेटी गठित की जाएगी।

आरयू में गाइड की भारी कमी

रांची विवि में पीएचडी के लिए अभ्यर्थियों को गाइड बड़ी मुश्किल से मिलता है। कारण, स्थायी शिक्षकों की भारी कमी है। वर्ष 2008 के बाद लेक्चरर की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में इसकी कमी को पूरा करने के लिए अनुबंध पर असिस्टेंट प्रोफेसर काे रख लिया गया है। ये गाइड नहीं हो सकते हैं। बात रांची विवि की ही करें तो यहां एक भी प्रोफेसर नहीं है। सिर्फ एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर सेवा दे रहे हैं। इनकी भी संख्या काफी कम है। 

आरोप निराधार व बेबुनियाद

पीजी कॉमर्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. जीपी त्रिवेदी ने कहा कि पैसे मांगे जाने आरोप निराधार व बेबुनियाद है। अभ्यर्थी का इच्छानुसार काम नहीं होता है तो वे इस तरह का आरोप लगा देते हैं। कोरोनाकाल में तो विवि बंद ही रहा। कब और कैसे मांगा गया। यह सब स्पष्ट होना चाहिए। सभी को गाइड चाहिए और मनोनुकूल कार्य भी होना चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है।

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