वेटनरी दवाओं की एफीकेसी टेस्ट करने के लिए रांची के विज्ञानियों को मिला साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का पुरस्कार

उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित सोसाइटी फार साइंटिफिक डेवलपमेंट इन एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी में कृषि और संबद्ध विज्ञान में अभिनव और वर्तमान प्रगति (इनोवेटिव एंड करंट एडवांसेज इन एग्रीकल्चर एंड एलाइड साइंसेज) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 04:29 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 04:29 PM (IST)
वेटनरी दवाओं की एफीकेसी टेस्ट करने के लिए रांची के विज्ञानियों को मिला साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का पुरस्कार
वेटनरी दवाओं की एफीकेसी टेस्ट करने के लिए रांची के विज्ञानियों को मिला साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का पुरस्कार। जागरण

रांची, जासं। उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित सोसाइटी फार साइंटिफिक डेवलपमेंट इन एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी में कृषि और संबद्ध विज्ञान में अभिनव और वर्तमान प्रगति (इनोवेटिव एंड करंट एडवांसेज इन एग्रीकल्चर एंड एलाइड साइंसेज) पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का आयोजन 19 जुलाई से लेकर 22जुलाई तक आयोजित की गयी। इसमें दो विज्ञानियों रांची वेटरनरी कालेज, पशु चिकित्सा विभाग के सहायक प्राध्यापक डा प्रवीण कुमार और पशु चिकित्सा क्लीनिकल काम्प्लेक्स की सहायक प्रोफेसर डा लवलीन शवेता खाखा को वेटनरी दवाओं की एफीकेसी टेस्ट करने के लिए साइंटिस्ट ऑफ द ईयर का पुरस्कार दिया गया।

इस सम्मेलन में दुनियाभर के 687 से ज्यादा विज्ञानियों ने आनलाइन सम्मेलन में भाग लिया था। इसमें से 289 प्रतिनिधियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में डा प्रवीण कुमार कुत्तों में रोग त्वचा और और डा लवलीन शवेता खाखा ने रक्त जैव रसायन के विकारों और मवेशियों में हाइपोफोस्फेटमिया पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। डा प्रवीण कुमार ने बताया कि ये पुरस्कार उन्हें ये पुरस्कार इवरमेक्टिन और एक नयी दवा माक्सीडेक्टिन की एफीकेसी टेस्ट के लिए मिली।

डा प्रवीण कुमार ने बताया कि उन्होंने अस्पताल पहुंचने वाले पालतू कुत्तों पर शोध करके पाया कि 34प्रतिशत कुत्तों में त्वचा रोग की समस्या होती है। इसमें सबसे ज्यादा एक से तीन वर्ष के कुत्ते रोग ग्रस्त होते हैं। हालांकि इन्हे सही उपचार देने पर बीमारी जल्द ठीक भी हो जाती है। मगर इसके लिए कुत्ते के मालिक को सजग रहने की जरूरत होती है। इसके अलावा पशुओं के हाइपोफोस्फेटमिया के बारे में वेटनरी कालेज के शोध से मवेशियों के इलाज में मदद मिलेगी। हाइपोफोस्फेटमिया के अनुवांशिक रोग है। इसके कारण कई बार मवेशियों की मृत्यु तक हो जाती है।

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