अधिवक्ताओं के बीच खींचतान से टेंशन में रांची पुलिस, 19 लाख के गबन में अखाड़ा बना कोतवाली थाना
Jharkhand News Ranchi Bar Association रांची बार एसोसिएशन से 19.38 लाख रुपये का गबन हुआ है। इस मामले में कोतवाली थाना अखाड़ा बना हुआ है। कोतवाल साहब फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। गबन में बार एसोसिएशन के लेखा लिपिक ज्योति कुमार एवं अन्य को नामजद किया गया है।
रांची, जासं। रांची बार एसोसिएशन का चुनाव संपन्न हुए 10 दिन बीत गए, लेकिन अभी भी आपसी खींचतान कम नहीं हुई है। एसोसिएशन के 19.38 रुपये गबन के मामले के बहाने पूर्व व वर्तमान कमेटी आमने-सामने है। जमकर कानूनी दांवपेच खेले जा रहे हैं। खींचतान भले अधिवक्ताओं के बीच हो, लेकिन टेंशन रांची पुलिस की बढ़ गई है। अपराधियों को कानून का पाठ पढ़ाने वाली रांची पुलिस को समझ नहीं आ रहा है कि अधिवक्ताओं से कैसे डील किया जाए। दरअसल, अधिवक्ताओं के बीच लड़ाई का अखाड़ा कोतवाली थाना बन गया है। ऐसे में कोतवाल साहब फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं।
बता दें कि बार एसोसिएशन से 19.38 लाख रुपये गबन के मामले में पूर्व महासचिव कुंदन प्रकाशन ने 4 अक्टूबर को कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। गबन के लिए बार एसोसिएशन के लेखा लिपिक ज्योति कुमार एवं अन्य को नामजद किया गया था। इधर, प्राथमिकी दर्ज होते ही बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने दस्तावेज से छेड़छाड़ की आशंका जताते हुए कोतवाली थाने में अलग से शिकायत दर्ज कराई है। पुरानी कमेटी से दस्तावेज हासिल कर सीज कर लेने की मांग की गई है।
क्या है प्राथमिकी में
पुलिस को दिए लिखित शिकायत में कुंदन प्रकाश ने कहा कि एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक वार्षिक ऑडिट का कार्य झारखंड राज्य के विधिक परिषद के द्वारा भेजे गए ऑडिटर अंकित माहेश्वरी की देखरेख में किया गया। 25 सितंबर को ऑडिटर ने रिपोर्ट बार एसोसिएशन को भेजा। ऑडिट रिपोर्ट देखने के बाद गबन की जानकारी मिली। कुंदन प्रकाश के अनुसार शपथ पत्र, बेल बांड, हाजिरी पेपर, वकालतनामा व अन्य श्रोतों से प्राप्त आय में से 11 लाख 29 हजार 440 रुपये रांची बार एसोसिएशन के खाते में जमा नहीं किया गया।
शपथ पत्र रांची जिला बार एसोसिएशन के पुराने बार भवन से बेचने का कार्य पहले बार के कर्मचारी शैलेंद्र कुमार करते थे। फिलहाल इसकी जिम्मेदारी लिपिक राजा कुमार पर है। वहीं, बेल बाउंड, वकालतनामा, हाजिरी पेपर, वेलफेयर टिकट आदि बेचने की जिम्मेदारी लिपिक संदीप मिंज, उपेंद्र महतो, मैनुल अंसारी पर है। ये लोग प्रतिदिन प्राप्त आय का ब्यौरा लेखा लिपिक ज्योति कुमारी को देते थे।
पिता की बीमारी का बहाना बनाकर ऑडिट के समय गायब थी आरोपित
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार ऑडिट के समय ऑडिटर द्वारा बार-बार लेखा लिपिक ज्योति कुमार को आवश्यक कागजात के साथ उपस्थित होने के लिए कहा जाता था। हालांकि हर बार ज्योति कुमारी अपने पिता की बीमारी का बहाना बनाकर गायब हो जाती थी।