क्यूबा में अमेरिकी साम्राज्यवाद का विरोध, भारत सरकार से क्यूबा के पक्ष में खड़े होने की अपील
Jharkhand News Hindi Samachar रांची के नागरिकों ने बैठक कर क्यूबा के साथ एकजुटता व्यक्त की। भारत सरकार से क्यूबा के पक्ष में खड़े होने की अपील की है। कार्यक्रम में भाकपा माले और जनता दल समेत विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की।
रांची, जासं। अखिल भारतीय शांति एकजुटता संगठन के बैनर तले रांची के प्रबुद्ध नागरिकों ने छोटे से समाजवाद देश क्यूबा में अमरीकी साम्राज्यवाद की दखलंदाजी का विरोध किया। रांची में खराब मौसम के बावजूद बैठक कर क्यूबा की जनता के प्रति एकजुटता कार्यक्रम आयोजित किया। भाकपा कार्यालय में संपन्न इस कार्यक्रम में सीपीआइ, सीपीआइ (एम), भाकपा माले और जनता दल समेत विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की। इस अवसर पर आयोजित एकजुटता सभा की अध्यक्षता प्रकाश विप्लव ने की।
सभा को अजय सिंह, मोहन दत्ता, भुवनेश्वर केवट, राजेश यादव, सुषमा मेहता और मो. मुफ्ती अब्दुल कासिमी ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि अमेरिका से मात्र 90 नाॅटिकल माइल की दूरी पर बसे छोटे से समाजवाद देश क्यूबा के प्रति अमेरिका की साजिश जगजाहिर है। आज कई दशकों से यह देश अमेरिका की नाकेबंदी के चलते हो रही तमाम परेशानियों को झेलते हुए समाजवाद का झंडा बुलंद रखे हुए है।
इस मौके पर उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता एके. रशीदी, वीरेन्द्र कुमार, विजय वर्मा, अफाक रसीदी, छुन्नु उरांव, लक्ष्मी पासवान समेत दर्जनों नागरिकों ने इस कार्यक्रम में भागीदारी की। एकजुटता सभा से एक प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से मांग की गई कि भारत अपनी परंपरागत गुटनिरपेक्षता की नीतियों को न छोड़ते हुए क्यूबा की सरकार के पक्ष में भारत की जनता की भावनाओं के अनुरूप मजबूती से खड़ी हो।
अखिल भारतीय शांति एकजुटता संघ के अजय कुमार ने बताया कि उनका संघ गरीबों और मुस्लिमों की लड़ाई लड़ता रहेगा। उन्होंने अमेरिका को समाजवादी देश बताते हुए कहा कि यह देश दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में दखल देता है। उन्होंने कहा कि क्यूबा में जो प्रदर्शन हो रहे हैं, उसमें सीधे-सीधे अमेरिका का हाथ है। अमेरिका वहां अपने पक्ष की सरकार चाहता है। इसके लिए वहां के लोगों को बहका कर प्रदर्शन करा रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया जगत से जो खबरें आ रही हैं, वह भी पक्षपातपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन में ज्यादातर लोग भाग नहीं लेते। लेकिन पश्चिमी मीडिया इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है।