Ramzan Roza 2021: रोजा एक इबादत है, यह हर व्यस्क मुसलमान के लिए अनिवार्य है...
Ramzan Roza 2021 Ranchi Jharkhand News हर कौम में हर पैगंबर ने रोजा रखने की बात कही है। आज भी रोजा हर धर्म में किसी न किसी रूप में मौजूद है। कुरआन के अनुसार रोजे का उद्देश्य इंसान में तकवा या संयम पैदा करना है।
रांची, जासं। Ramzan Roza 2021, Ranchi Jharkhand News अभी मुस्लिम भाइयों का पवित्र महीना रमजान चल रहा है। इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रोजा रख रहे हैं। रोजा के संबंध में रांची के शोएब उर रहमान कहते हैं कि रोजे को अरबी में ‘‘सौम’’ कहते हैं। इसका अर्थ ‘‘रुकने और चुप रहने’’ से है। कुरआन में इसे ‘‘सब्र’’ भी कहा गया है, जिसका अर्थ है ‘स्वयं पर नियंत्रण’ और स्थिरता। इस्लाम में रोजे का मतलब होता है। केवल ईश्वर के लिए, भोर से लेकर सूरज डूबने तक खाने-पीने और सभी बुराइयों से स्वयं को रोके रखना।
अनिवार्य रोजे, जो केवल रमजान के महीने में रखे जाते हैं और यह हर व्यस्क मुसलमान के लिए अनिवार्य है। क़ुरआन में कहा गया है- 'ऐ ईमान लाने वालों! तुम पर रोजे अनिवार्य किए गए, जिस प्रकार तुम से पहले के लोगों पर किए गए थे, शायद कि तुम डर रखने वाले और परहेज़गार बन जाओ।’’ 'रमजान का महीना जिसमें क़ुरआन उतारा गया, लोगों के मार्गदर्शन के लिए, और मार्गदर्शन और सत्य-असत्य के अंतर के प्रमाणों के साथ। अतः तुममें जो कोई इस महीने में मौजूद हो, उसे चाहिए कि उसके रोजे रखे और जो बीमार हो या यात्रा में हो तो दूसरे दिनों से गिनती पूरी कर ले।
ईश्वर तुम्हारे साथ आसानी चाहता है, वह तुम्हारे साथ सख़्ती और कठिनाई नहीं चाहता और चाहता है कि तुम संख्या पूरी कर लो और जो सीधा मार्ग तुम्हें दिखाया गया है, उस पर ईश्वर की बड़ाई प्रकट करो और ताकि तुम कृतज्ञ बनो।’’ रोजा एक बहुत महत्वपूर्ण इबादत है। हर कौम में, हर पैगंबर ने रोजा रखने की बात कही है। आज भी रोजा हर धर्म में किसी न किसी रूप में मौजूद है। कुरआन के अनुसार रोजे का उद्देश्य इंसान में तकवा या संयम पैदा करना है। तकवा का एक अर्थ है- ‘ईश्वर का डर’ और दूसरा अर्थ है- ‘जिंदगी में हमेशा एहतियात वाला तरीका अपनाना।’